बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाना वाला छठ पूजा का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक हैं. इसीलिए तो इसे महापर्व कहा जाता है. महापर्व छठ दीपावली के त्योहार के छठवें दिन यानि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा का त्योहार मनाया जाता है. सूर्य की उपासना का महापर्व है छठ. एक ऐसा महापर्व जिसे लगातार चार दिनों तक पूरी आस्था और विश्वास के साथ मनाया जाता है. ये सूर्य षष्ठी भी कहलाता है. नहाय-खाय से इसकी शुरुआत होती है जो खरना, छठ पूजा और छठ पूजा के दूसरे अर्घ्य तक चलती है. मान्यता है कि छठ मइया का व्रत रखने वाले और विधि-विधान से पूजा करने वाले दम्पति को संतान सुख मिलता है साथ ही परिवार में सुख-समृद्धि आती है
छठ पूजा के कार्यक्रम
08 नवंबर 2021, सोमवार- नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत
09 नवंबर 2021, मंगलवार- खरना/संझत
10 नंवबर 2021, बुधवार- छठ पूजा, डूबते सूर्य को अर्घ्य
11 नवंबर 2021, गुरुवार- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पूजा का समापन
नहाय खाय
नहाय खाय के दिन छठ पूजा/व्रत करने वाले परिवार लोग घर को साफ, पवित्र करके पूजा सामग्री एक स्थान पर रखते हैं. इस दिन सभी लोग सात्विक डायट लेते हैं.
खरना
छठ पूजा का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण दिन खरना होता है. इसे लोहंडा और संझत भी कहते हैं. खरना वाले दिन पूरे दिन व्रत रखा जाता है और रात में पूरी पवित्रता के साथ बनी गुड़ की खीर का सेवन किया जाता है. खीर खाने के बाद अगले 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है. खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद भी तैयार किया जाता है
छठ पूजा
खरना के अगले दिन छठी मइया की पूजा होती है. इस दिन व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर जल्दी उगने और संसार पर कृपा करने की प्रार्थना करते हैं.
छठ पूजा का समापन
छठ पूजा के अगले दिन 11 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ का कठिन व्रत का समापन हो जाता है
लोक आस्था के इस पर्व को बेहद ही पावन तरीके से मनाने की परंपरा रही है. बिहार, झारखंड और पूर्वांचल के रहने वाले लोग पूरे साल चाहे घर से कितनी भी दूर रहते हों वो इस पर्व पर अपने घर वापस ज़रूर आते हैं. उनलोगों के लिए ये त्योहार आस्था के साथ भावनाओं से भी जुड़ा हुआ है.