Delhi Riots Case: दिल्ली दंगों की पुलिसिया जांच पर अक्सर सवाल उठते रहते हैं...लेकिन अब कड़कड़डूमा कोर्ट (Karkardooma Court) ने इसे लेकर बेहद तीखी टिप्पणी की है.
कोर्ट ने कहा है कि जांच एजेंसी ने केवल अदालत की आंखों पर पट्टी बांधने की कोशिश की है और कुछ नहीं. ये मामला करदाताओं की गाढ़ी कमाई की भारी बर्बादी है. पुलिस (Delhi Police) का इस मामले की जांच करने का कोई वास्तविक इरादा ही नहीं है.
इन टिप्पणियों के साथ ही अदालत ने दंगों में एक दुकान की लूटपाट के आरोपी पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन (Tahir Hussain) के भाई और दो दूसरे आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने उन्हें साक्ष्यों के अभाव में बरी किया है. कोर्ट ने ये भी कहा कि इतिहास में दिल्ली के दंगे अपनी खराब जांच के लिए भी याद किए जाएंगे.
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दरअसल दिल्ली दंगों के दौरान हरप्रीत सिंह आनंद (Harpreet Singh Anand) नाम के एक शख्स की दुकान दंगाइयों ने जला दी थी. पुलिस ने इस मामले में शाह आलम , राशिद सैफी और शादाब को आरोपी बनाया था. लेकिन पुलिस ने इस मामले में पांच गवाह दिखाए हैं, जिनमें एक पीड़ित है, दूसरा कांस्टेबल ज्ञान सिंह, एक ड्यूटी अधिकारी, एक औपचारिक गवाह और आईओ.
इसी पर कोर्ट ने कहा कि जो सबूत रखे गए हैं वो पर्याप्त नहीं हैं. कोर्ट ने कहा है इस मामले की जांच में दिल्ली पुलिस ने कर दाताओं का पैसा खराब किया है. इस तरह की जांच लोकतंत्र के रखवालों को पीड़ा देगी.