UNICEF के अनुसार, दुनियाभर में लगभग 356 मिलियन बच्चे बेहद गरीबी में जीवन बिताने के लिए मजबूर हैं. कोरोना महामारी ने इस स्थिति को ज़्यादा बदतर कर दिया है और लगभग 150 मिलियन बच्चे और इस लिस्ट में शामिल हो गए हैं जो अपना जीवन गरीबी में बिता रहे हैं.
इन बच्चों की ज़िन्दगी कई तरह के खतरों से भरी होती है. कई वैज्ञानिक इस बात पर रिसर्च कर रहे हैं कि गरीबी की ज़िन्दगी इन बच्चों की ब्रेन हेल्थ पर किस तरह का प्रभाव डाल रही है. 216 बच्चों पर 17 साल तक की गयी एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि अभाव में बीता बचपन या गरीबी बच्चों में संज्ञानात्मक और व्यवहार संबंधी परेशानियां पैदा कर सकती हैं.
बायोलॉजिकल साइकियाट्री नाम के जर्नल में छपी इस स्टडी में पाया गया कि गरीबी के कारण स्ट्रेस, भरपूर पोषण ना मिल पाना और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के चलते दिमाग के डेवलपमेंट पर असर पड़ता है.
अगर मनोविकार और ज़िन्दगी में घटी घटनाओं को आधार मानकर भी देखा जाए तब भी टीम ने गरीबी का दिमागी विकास और व्यवहार में बदलाव से संबंध पाया. Psychoneuroendocrinology जर्नल की एक रिसर्च में पाया गया कि जो टीनएजर्स गरीबी में बढ़े हुए हैं उनमें स्ट्रेस के लक्षण उन बच्चों कि तुलना में ज़्यादा देखने को मिले जिनका जीवन बेहतर फाइनेंशियल वातावरण में बीता. ये रिसर्च अभी भी चल ही रही है.
हालांकि, एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि कई बच्चे ऐसे भी हैं जिनका बचपन भले ही अभाव में बीता लेकिन उन्होंने अपनी आगे की लाइफ में अच्छा किया. इसका कारण उन बच्चों को बाहर से मिला सपोर्ट हो सकता है.