मारिजुआना या गांजा, भांग के पौधे का सूखा और कटा हुआ हिस्सा है जिसे आमतौर पर टीनएजर्स इस्तेमाल करते हैं या इसके अब्यूज़ का शिकार होते हैं. इसके शरीर पर कई संभावित शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म प्रभाव हैं. अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन ड्रग एब्यूज़ (NIDA) की रिसर्च के मुताबिक बचपन में मारिजुआना का सेवन, सीखने की क्षमता, अटेंशन, मेमोरी, कोऑर्डिनेशन, संतुलन, जजमेंट और फैसले लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है.
अब सवाल ये है कि एक किशोर यानि टीनएजर गांजे का सेवन क्यों करने लगता है? जर्नल ऑफ स्टडीज़ ऑन अल्कोहल एंड ड्रग्स की रिसर्च की मानें तो, युवा लोग अपने साथियों के दबाव में या बोरियत को कम करने, तनाव दूर करने, प्रॉबलम्स से बचने और कुछ मामलों में दूसरी दवाओं के प्रभाव को बढ़ाने या घटाने के लिए गांजा लेने लगते हैं.
टीनएजर्स शायद ही सोचते होंगे कि वो इसे लेने से और भी कई तरह की हेल्थ प्रॉबल्म में पड़ सकते हैं इसीलिए ज़रूरी है कि बतौर पेरेंट्स बच्चों के साथ इसके रिस्क के बारे में जल्दी बात करना शुरू कर दें और समय के साथ इसे लेकर बातचीत को जारी रखें. अमेरिका की सेंटर्स फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने इसके कुछ शॉर्ट टर्म इफेक्ट सुझाये हैं. वो हैं...
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बदली हुई इंद्रियां (Senses)
समय बदलने की भावना
मूड में बदलाव
स्लो रिएक्शन टाइम
भूख का बढ़ना
मतिभ्रम (Hallucinations)
भ्रम
मनोविकृति
शॉर्ट टर्म इफेक्ट के अलावा अमेरिका की सीडीसी ने इसके लॉन्ग टर्म प्रभावों के बारे में बताया है, आइये जानते हैं.
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दिमागी क्षमता
दिमागी क्षमता जैसे अवधारणा, ध्यान, मेमोरी, निर्णय लेने और भाषा की समझ जैसी चीज़ें हर रोज़ के बिहेवियर और सोशल बिहेवियर में अहम रोल निभाते हैं. 20 साल की उम्र तक एक टीनएज ब्रेन पूरी तरह से परिपक्व नहीं होता है. किशोरावस्था के दौरान, नशीली दवाओं के संपर्क में रहने से ब्रेन खासतौर से बेहद संवेदनशील रहता है. ऐसे में गांजे का सेवन दिमागी क्षमता और मस्तिष्क के भीतर बनने वाले कनेक्शन को प्रभावित कर सकता है.
हार्ट रेट का बढ़ना
गांजे का सेवन आपके हार्ट रेट को बढ़ा या दोगुना भी कर सकता है, (आमतौर पर 70 से 80 बीट प्रति मिनट तक) खासकर अगर इसके साथ दूसरी दवाईयां ली जाती हैं. इससे दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा बढ़ जाता है और टीनएजर्स में काफी हद तक इसकी चपेट में आ जाते हैं.
सांस लेने से जुड़ी परेशानियां
तंबाकू के धुएं की तरह ही गांजे का धुआं गले और फेफड़ों में जलन पैदा करता है, इसे इस्तेमाल करने के दौरान गंभीर खांसी भी उठ सकती है. इसमें वाष्पशील केमिकल यानि वोलाटाइल केमिकल्स और टार भी होते हैं जो तंबाकू के धुएं के जैसे ही होते हैं, जिससे कैंसर और फेफड़ों की बीमारी के होने का ख़तरा बढ़ जाता है.
मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानियों का ख़तरा
गांजे का सेवन डिप्रेशन और स्ट्रेस के साथ-साथ टीनएजर्स में खुदकुशी जैसे विचारों से जोड़ा गया है. इसके अलावा, किशोरावस्था के दौरान गांजा पीने से मेंटल डिसऑर्डर सिज़ोफ्रेनिया होने के आनुवांशिक रिस्क वाले लोगों में मनोविकृति के बढ़ने का खतरा बढ़ सकता है.