क्या आप उन लोगों में से हैं जो देर रात तक जगे रहते हैं या फिर आपको रात में समय पर सोने की आदत है? समय पर सोने और सुबह समय पर जागने को लेकर ऐसी बहुत सी कहावतें हैं जो आपने कई बार सुनी भी होंगी. लेकिन क्या ये वाकई में सही हैं? चलिए समझते हैं नींद का विज्ञान इस बारे में क्या कहता है .
सबसे पहले तो ये बात कि आप या तो अर्ली बर्ड यानी सुबह जल्दी उठने वाले या फिर नाईट आउल यानी रात को देर तक जागने वाले लोगों में से हैं, ये गलत हो सकता है.
द जर्नल ऑफ़ बायोलॉजिकल एंड मेडिकल रिदम में छपी एक स्टडी में बताया गया है कि हम में से ज़्यादातर लोग इन दोनों का थोड़ा थोड़ा कॉम्बिनेशन होते हैं.
प्रोडक्टिविटी की बात की जाए तो देर तक जागने वाले लोग देर रात अपना काम ज़्यादा सही ढंग से कर पाते हैं तो वहीं जल्दी जागने वाले लोग यानी अर्ली बर्ड्स सुबह के समय ज़्यादा अच्छे से फंक्शन कर पाते हैं. ये कहीं से भी प्रोडक्टिविटी को डिफाइन नहीं करता है लेकिन आपके करियर के लिहाज से ज़रूर ये मायने रख सकता है. आपका फ्लेक्सिबल होना आपके करियर के रास्ते को आसान बना सकता है.
आपकी उम्र भी इसमें एक बड़ा रोल निभाती है. किशोरावस्था के दौरान लोग देर रात तक जागने में ज़्यादा सहजता महसूस करते हैं लेकिन जैसे जैसे उम्र बढ़ती जाती है आप सुबह जल्दी उठने में मज़ा आने लगता है.
कई स्टडीज़ में ये बात पता चली है कि सुबह जल्दी उठने वाले लोग ज़्यादा खुश रहते हैं. एक हालिया स्टडी में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि जिन लोगों ने माना कि वो सवेरे जल्दी उठते हैं वो लोग दूसरों की तुलना में ज़्यादा खुश नज़र आये.
जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ़ लैपज़िग की एक और रिसर्च में बताया गया कि सुबह उठने वाले लोग ज़िन्दगी को लेकर भी काफी संतुष्ट नज़र आये और उनमें मेन्टल हेल्थ से जुड़ी परेशानियों का खतरा भी कम देखने को मिला.
हालांकि साइंस का इस बारे में साफ़ तौर पर कुछ कहना नहीं है लेकिन सोशल जेट लेग इसे समझने का एक तरीका हो सकता है. जिन लोगों को देर रात तक जागने की आदत होती है उनका सोने, उठने और काम करने का समय दूसरे लोगों से अपने आप ही अलग होने लगता है. जिसके कारण कई बार नींद पूरी नहीं हो पाती है और आप कई तरह की मानसिक परेशानियों का भी शिकार हो सकते हैं.