कोविड-19 (Covid-19) को लेकर हुई एक ताज़ा स्टडी के मुताबिक, कोरोना मरीजों में एक साल तक बीमारी के लक्षण रह सकते हैं. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल लैंसेट में छपी स्टडी बताती है कि कोरोना से उबरने के एक साल बाद भी लोग थकान और सांस लेने में दिक्कत जैसी परेशानी झेल रहे हैं.
इस स्थिति पर अभी तक के किए गए सबसे बड़े रिसर्च को 'लॉन्ग कोविड' का नाम दिया गया है. इसके मुताबिक कोविड से उबरने के साल भर बाद भी हर तीन मरीजों में से एक को सांस की समस्या से जूझना पड़ा है. लैंसेट में छपी स्टडी में कहा गया है कि 'लॉन्ग कोविड' लोगों के सामान्य जिंदगी जीने और उनके काम करने की क्षमता पर असर डाल रहा है.
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रिसर्च से पता चला है कि कई मरीजों को बीमारी से पूरी तरह ठीक होने में एक साल से अधिक का समय लगेगा. इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए जनवरी से मई 2020 के बीच चीनी शहर वुहान में कोविड-19 का इलाज करवा रहे करीब 1,300 लोगों को रिसर्च का हिस्सा बनाया गया.
रिसर्च के मुताबिक, कम से कम एक लक्षण वाले मरीजों की संख्या 6 महीने बाद घटकर 68 फीसदी पर आ गई और 12 महीने बाद कम होकर 49 फीसदी पर, तो वहीं मरीजों में सांस की तकलीफ 6 महीने बाद 26% अधिक हो गई जबकि 1 साल बाद 30 फीसदी.
चीन में की गई रिसर्च में एक्सपर्ट्स ने महामारी की वजह से स्वास्थ्य पर लंबे समय तक पड़ने वाले प्रभावों को गंभीरता से समझने की जरूरत बताई है. एक्सपर्ट्स की मानें तो ये नई रिसर्च भी पहले की गई उन सभी रिसर्च का समर्थन करती है जिनमें चेताया गया है कि अलग-अलग देशों के अधिकारियों को कोरोना से प्रभावित हेल्थ वर्कर्स और मरीजों के लिए लंबे समय तक सुविधाएं उपलब्ध कराने को तैयार रहना चाहिए.
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इसके साथ ही रिसर्चर्स ने ये भी माना कि 'लॉन्ग कोविड' एक आधुनिक चुनौती है, इसलिए उससे जूझने वाले मरीजों की बेहतर देखभाल, समर्थन और सहयोग की ज़रूरत है ताकि वो लक्षणों से उभर कर वापस एक सामान्य ज़िन्दगी जी सकें.
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