स्वीडन की यूनिवर्सिटी ऑफ़ गोथनबर्ग के रिसर्चर्स द्वारा की गई एक स्टडी में ये पता चला है कि COVID-19 के जिन मरीज़ों का BMI यानी बॉडी मास इंडेक्स ज़्यादा होता है उनमें हेल्थ कॉम्प्लीकेशंस और डेथ का खतरा भी ज़्यादा देखने को मिला है. ये स्टडी PLOS नाम के एक जर्नल में छपी है.
इस स्टडी के लिए रिसर्च टीम ने स्वीडिश इंटेसिव केयर रजिस्ट्री से 1,649 कोविड के मरीज़ों के डेटा का एनालिसिस किया. स्टडी में शामिल किये गए सभी मरीज़ कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान स्वीडन के अलग अलग ICU में भर्ती थे. जिनमें से ज़्यादातर लोगों का BMI बढ़ा हुआ था और 78.3 % मरीज़ ओवर वेट थे.
इस रिसर्च के दौरान देखा गया कि जिन लोगों का बॉडी मास इंडेक्स ज़्यादा था ICU में रहने के दौरान उनमें मौत का खतरा ज़्यादा देखा गया और जिन लोगों की जान बच पाई उन्हें भी 14 दिन से ज़्यादा ICU में रखना पड़ा.
इसके अलावा अगर पेशेंट को पहले से किसी तरह की कोई बीमारी जैसे कार्डिवस्कुलर डिसीज़, हाइपरटेंशन, डायबिटीज़ या लिवर और किडनी से जुडी कोई बीमारी है तब भी BMI और हेल्थ कॉम्प्लीकेशंस के बीच संबंध में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं देखा गया.
टीम ने इस रिसर्च के बारे में बताते हुए कहा कि मोटापा अपने आप में एक बड़ा रिस्क फैक्टर है जो कोरोना की वजह से ICU में रह रहे लोगों के जीवन को खतरे में डाल सकता है.