Adani Group News: अडानी ग्रुप (Adani Group) की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं. एक मीडिया ग्रुप की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अडानी ग्रुप के फैमिली पार्टनर्स ने ग्रुप के शेयर खरीदने के लिए लाखों डॉलर का निवेश किया. ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) की रिपोर्ट में आरोप लगाए गए हैं कि ये निवेश मॉरीशस में इन्वेस्टमेंट फंड के जरिए किया गया जिनके बारे में सार्वजनिक तौर पर कोई खास जानकारी नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक, ये निवेशक अडानी परिवार के लंबे समय से बिज़नस पार्टनर रहे हैं. ये दोनों गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी से जुड़ी अड़ानी ग्रुप की कंपनियों में डायरेक्टर और शेयरहोल्डर भी रह चुके हैं. हालांकि अडानी ग्रुप के प्रवक्ता ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है. रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप की सभी 10 कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली है.
OCCRP की रिपोर्ट के मुताबिक, कई टैक्स हेवन और कंपनी की इंटरनेल ईमेल फाइलों की जांच से पता चला है कि कम से कम दो मामले ऐसे हैं जहां निवेशकों ने विदेशी कंपनियों के जरिए अडानी ग्रुप के शेयरों की खरीद-बिक्री की है.
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रिपोर्ट के मुताबिक, नसीर अली शाबान अहली और चांग चुंग-लिंग अडानी परिवार के लंबे समय से बिज़नस पार्टनर रहे हैं. ये दोनों गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी से जुड़ी अड़ानी ग्रुप की कंपनियों में डायरेक्टर और शेयरहोल्डर रह चुके हैं. रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि दोनों ने ऑफशोर स्ट्रक्चर के जरिए अडानी ग्रुप के शेयरों की खरीद-फरोख्त की जिससे उन्हें काफी मुनाफा हुआ. इससे उनकी भागीदारी अस्पष्ट हो गई.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ये अरेंजमेंट कानूनों का उल्लंघन है या नहीं, ये इस बात पर निर्भर करता है कि अहली और चुंग-लिंग प्रमोटर्स की तरफ से काम कर रहे हैं या नहीं. अगर ऐसा है तो अडानी स्टेक में उनकी हिस्सेदारी 75 फीसदी से अधिक हो जाएगी.
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इस बीच अडानी ग्रुप ने बयान जारी कर इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि यह विदेशी मीडिया के साथ मिलकर सोरोस के सपोर्ट वाले संगठनों की शेयर में गिरावट लाकर मुनाफा कमाने और हमें बदनाम करने की नई साजिश है. अडानी ग्रुप ने कहा कि हम इन रीसाइकल्ड आरोपों को खारिज करते हैं. ये न्यूज़ रिपोर्ट तर्कहीन है और हिंडनबर्ग रिपोर्ट को फिर से जिंदा करने का एक कोशिश लग रही है. अडानी ग्रुप ने कहा कि OCCRP की तरफ से लगाए गए आरोप एक दशक पहले बंद हो चुके मामलों पर आधारित है. उस समय राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने ओवर इनवॉइसिंग, विदेश में फंड ट्रांसफर, रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन और FPI के जरिए निवेश के आरोपों की जांच की थी. मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया था और मामले को बंद कर दिया था. इसलिए इन आरोपों की कोई प्रासंगिकता नहीं है.
बता दें कि 8 महीने पहले इसी साल 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग और शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए थे.
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