What is Disinvestment and how it works: डिसइन्वेस्टमेंट का मतलब सरकार द्वारा संपत्तियों की बिक्री से है. आमतौर पर केंद्र और राज्य के पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज, प्रोजेक्ट या दूसरे फिक्स्ड एसेट्स को बेचने की प्रक्रिया को ही डिसइन्वेस्टमेंट कहा जाता है. सरकार राजकोषीय बोझ को कम करने के लिए या किसी खास जरूरत को पूरा करने के लिए डिसइन्वेस्टमेंट (Disinvestment) या विनिवेश करती है.
ये भी देखें- Tax and Non-Tax Revenue : टैक्स और नॉन-टैक्स रेवेन्यू किसे कहते हैं? आइए जानते हैं
कुछ मामलों में संपत्ति के निजीकरण के लिए भी विनिवेश किया जा सकता है. हालांकि, सभी विनिवेश निजीकरण नहीं होते हैं. विनिवेश के कुछ फायदे भी हैं. यह देश के लॉन्ग टर्म ग्रोथ में मददगार साबित होता है. ऐसा करके सरकार और कंपनियों का कर्ज कम हो पाता है. .
राजकोष पर बोझ को कम करना
सरकार के बजट में सुधार करना
प्राइवेट ओनरशिप को बढ़ावा देना
ग्रोथ और डिवेलपमेंट प्रोग्राम को मदद पहुंचाना
बाजार में प्रतिस्पर्धा को बनाए रखना और बढ़ावा देना
सरकार जब चाहे, निजी निवेशकों को एक पूरा उद्यम, या इसकी बड़ी हिस्सेदारी बेच सकती है. ये प्रक्रिया निजीकरण कही जाती है. सरकार आमतौर पर ऐसा करने से बचती है. सरकार ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम में आधे से ज्यादा हिस्सेदारी रखती है ताकि नियंत्रण उसके हाथों में रहे. लेकिन जब ऐसा नहीं होता है, तो स्वामित्व निजी क्षेत्र को ट्रांसफर हो जाता है और प्रक्रिया निजीकरण कहलाती है. जब 100% निवेश प्राइवेट सेक्टर के पास जाता है, तो बड़ा विनिवेश या पूर्ण निजीकरण भी कहा जाता है.
वित्त मंत्रालय के अधीन एक अलग विभाग है जो सरकार के लिए विनिवेश से जुड़े सभी कार्यों को संभालता है. 10 दिसंबर 1999 को, विनिवेश विभाग को एक अलग विभाग के रूप में स्थापित किया गया था और बाद में इसका नाम बदलकर Department of Investment and Public Asset Management कर दिया गया था. विनिवेश का टारगेट हर बजट के अंतर्गत तय किया जाता है और ये हर साल बदलता रहता है. विनिवेश का टारगेट बढ़ाया जाए या नहीं, इस पर अंतिम फैसला सरकार लेती है.
ये भी देखें- India's Budget: डायरेक्ट टैक्स (Direct Tax) और इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect Tax) क्या है?