मोदी सरकार ने आम बजट(Union Budget)में मिडल क्लास को झटका देते हुए इनकम टैक्स (Income Tax) स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है. ये लगातार 7वां ऐसा बजट था, जिसमें इनकम टैक्स स्लैब पर कोई चेंज नहीं किया गया है. 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव को देखते हुए ये उम्मीद की जा रही थी कि सरकार लोगों को इनकम टैक्स में छूट दे सकती है. ऊपर से लोगों को बचत में भी कोई राहत नहीं दी गई है.
आम बजट में टैक्सपेयर्स को किसी भी तरह के स्टैंडर्ड डिडक्शन को लेकर भी कोई राहत नहीं दी गई है. अभी टैक्स पेयर्स को 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है. वहीं वहीं, 80C में भी कोई छूट नहीं मिली है. अभी तक हाउसिंग लोन के ब्याज में 2 लाख तक की छूट मिलती है. इसमें भी सरकार ने कोई बढोतरी नहीं की है.
सेक्शन 80C के तहत लाइफ इंश्योरेंस, हाउसिंग लोन के प्रिंसिपल रीपेमेंट, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट, टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड्स, प्रॉविडेंट फंड, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड और बच्चों की ट्यूशन फीस पर टैक्स डिडक्शन मिलता है. एक्सपर्ट्स का कहना है अगर इसमें राहत मिलती तो इससे लोग बचत करने को प्रोत्साहित होते हैं. अभी फाइनेंशियल ईयर में इसकी लिमिट 1.5 लाख रुपये है. महंगाई और कोरोना संकट से जूझ रहे सीनियर सिटीजन को भी बैंक डिपॉजिट के इंटरेस्ट और टेक्स में कोई लाभ नहीं हुआ है.
राहत की एक खबर ये रही कि NPS में सरकार ने जरूर बदलाव किए हैं. पहले नियोक्ता की तरफ से किए गए योगदान के सिर्फ 10 फीसदी रकम तक इनकम टैक्स में छूट मिलती है. राज्य सरकार के स्टाफ को अब 14 फीसदी तक निवेश पर टैक्स छूट मिलेगी. केंद्र सरकार को पहले से ये राहत मिलती है. हालांकि सरकार ने टैक्सपेयर्स के लिए एक बड़ा ऐलान अपडेटेड रिटर्न से जुड़ा है.
अब टैक्सपेयर्स गलती पता चलने पर असेसमेंट ईयर के दो साल तक अपडेटेट रिटर्न भर पाएंगे. हालांकि सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स को 18 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दिया है. इसके अलावा क्रिप्टोकरंसी से होने वाली इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगाया गया है.