भोजन की थाली के मासिक संकेतक क्रिसिल के आंकड़े सामने आए है. अप्रैल के महीने में घर पर बनी चिकन थाली की कीमत शाकाहारी थाली से कम रही है . अगर आपको दाल की जगह चिकन का स्वाद ज्यादा पसंद है, तो आपने पिछले महीने पोल्ट्री की कम कीमतों के कारण कम पैसा खर्च किया है. अप्रैल महीने में प्याज, आलू और टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी भी इसका कारण है. यही वजह है कि, अप्रैल महीने में वेज थाली नॉन -वेज थाली से महँगी रही है.
घर पर थाली तैयार करने की औसत लागत का कैलकुलेशन उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में प्रचलित इनपुट कीमतों के आधार पर की जाती है. मासिक बदलाव आम आदमी के खर्च पर प्रभाव को दर्शाता है. आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि थाली की कीमत में बदलाव लाने वाले तत्व अनाज, दालें, ब्रॉयलर, सब्जियां, मसाले, खाद्य तेल और रसोई गैस हैं.
क्रिसिल एमआई एंड ए (CRISIL MI & A ) रिसर्च के अनुमान के मुताबिक, अप्रैल में घर में बनी नॉन-वेज थाली की कीमत में 4 फीसदी की गिरावट आई है , जबकि उसी महीने के दौरान शाकाहारी थाली की कीमत साल-दर-साल 8 फीसदी महंगी हो गई है. पिछले वित्त वर्ष के उच्च आधार पर ब्रॉयलर की कीमतों में सालाना आधार पर लगभग 12 प्रतिशत की गिरावट के कारण नॉन-वेज थाली की लागत में गिरावट आई है। आपको बता दें ,मांसाहारी थाली की लागत में ब्रॉयलर पोल्ट्री की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है.
इस बीच, पिछले वित्त वर्ष के आधार पर, प्याज की कीमतों में 41 प्रतिशत, टमाटर में 40 प्रतिशत और आलू में 38 प्रतिशत की वृद्धि के कारण शाकाहारी थाली की कीमत में वृद्धि हुई है. क्रिसिल ने कहा कि रबी में उल्लेखनीय गिरावट और पश्चिम बंगाल में आलू की फसल को नुकसान होने के कारण और प्याज की कम आवक के कारण कीमत में वृद्धि हुई है. इसके अलावा, चावल की कीमतें, जो कि सब्जी थाली की लागत का 13 प्रतिशत है, और दालों की कीमतें, जो लागत का 9 प्रतिशत है, इनमे साल-दर-साल क्रमशः 14 प्रतिशत और 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.