Foodgrain prices up: बीते 15 दिनों में चावल और इससे जुड़े प्रोडक्ट्स जैसे कि पोहा, मुरमुरा के अलावा ज्वार, बाजरा और चिकन की कीमतों में 5-15 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. देश में मानसून देरी से आने की वजह से खरीफ फसलों की बुवाई देरी से हुई.
बता दें कि सरकार के कीमतों को कंट्रोल करने के उपायों के बावजूद गेहूं और दाल की कीमतें भी हाई लेवल पर हैं.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्केट फंक्शनरीज और ट्रेड एनालिस्ट्स का अनुमान है कि जब तक उतनी बारिश नहीं हो जाती, जितनी बुवाई के लिए होनी चाहिए, तब तक फूड प्राइस में बढ़ोतरी होती रहेगी.
धान और दालें जैसे तुर (अरहर), मूंग, उड़द, तिलहन जैसे सोयाबीन और मूंगफली खरीफ के मौसम में उगाए जाने वाले प्रमुख स्टेपल फूड हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, पुणे बेस्ड जयराज ग्रुप के डायरेक्टर राजेश शाह ने कहा कि मानसून में देरी की वजह से पिछले 2 हफ्तों में चावल और इससे जुड़े प्रोडक्ट्स जैसे पोहा और मुरमुरा की कीमतें लगभग 15 फीसदी बढ़ी हैं. साथ ही ज्वार और बाजरा के दाम में भी इजाफा हुआ है. वहीं, स्टॉक लिमिट के बाद दालों और गेहूं की कीमतें कम नहीं हुई हैं. उन्होंने आगे बताया कि अगर बारिश समय पर और पर्याप्त नहीं होती है तो अनाज की कीमतें या तो स्थिर रहेंगी या आगे बढ़ सकती हैं.
क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के डायरेक्टर पुषन शर्मा ने कहा कि अगर मानसून में 7-10 दिनों की देरी होती है तो दलहनी फसलों के रकबे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. इससे दालों की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है. धान जैसी अन्य प्रमुख फसलों के लिए, अगर जुलाई महीने के खत्म होने तक बारिश पर्याप्त मात्रा में नहीं होती है तो धान के रकबे और प्रोडक्शन में कमी आ सकती है. इस वजह से कीमतें और भी बढ़ सकती हैं. गर्मियां देरी से शुरू होने और बारिश में देरी के कारण जून में तापमान लगातार ज्यादा रहने वजह से पोल्ट्री फार्मों की प्रोडक्टिविटी कम हो गई, जिससे चिकन की कीमतें और भी बढ़ गईं.