Gold Loans Surge: फेस्टिव सीजन शुरू होते ही नकदी की कमी शुरू हो गई है. इससे निपटने के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के लोग और छोटे कारोबारी अब सोना गिरवी रखकर कर्ज ले रहे हैं.
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिमी एशिया में चल रहे इजराइल-हमास युद्ध के बाद से सोने की कीमतें अचानक बढ़ने लगी हैं. पिछले हफ्ते सोने के कीमतों में चार फीसदी की तेजी आई है. इस वजह से 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 59,100 रु. हो गई है. यह एक साल पहले के 50,060 रुपये से 18 फीसदी ज्यादा है.
मुथूट फिनकॉर्प के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर थॉमस जॉन मुथूट के मुताबिक, इस बार फेस्टिव सीजन में लोगों के सामने कोविड-19 जैसे हालात नहीं है, इसलिए भी लोग पैसा खर्च करना चाहते हैं.
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एनबीएफसी संस्था, इंडेल मनी (Indel Money) के कार्यकारी निदेशक और सीईओ उमेश मोहनन का कहना है कि पिछले साल के फेस्टिव सीजन के मुकाबले गोल्ड लोन की मांग कम से कम 20 फीसदी बढ़ सकती है. उन्होंने कहा कि जब भी सोने की कीमत बढ़ती है, तो गोल्ड लोन कारोबार में हमेशा तेजी आती है. कई लोग महंगाई की वजह से उत्पन्न नकदी की कमी को दूर करने के लिए गोल्ड लोन ले रहे हैं तो देश के कुछ क्षेत्रों में अनियमित मानसून से ग्रामीण लोगों की आय प्रभावित हुई है. इससे कई लोगों को सोना गिरवी रखकर कर्ज लेने के लिए भी मजबूर होना पड़ा है.
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 28 जुलाई तक बकाया गोल्ड लोन 95,476 करोड़ रुपए था. यह आंकड़ा एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 23.1 फीसदी अधिक है. इस महीने की शुरुआत में, आरबीआई ने बुलेट रीपेमेंट स्कीम के तहत गोल्ड लोन की सीमा को 2 लाख रुपए से दोगुना कर 4 लाख रुपए करने का ऐलान किया था. यह शहरी सहकारी बैंकों पर लागू है. इससे ग्रामीण और अर्धशहरी लोगों को आसानी से कर्ज मिल सकेगा.
आंकड़ों के अनुसार, भारतीयों के पास 27,000 टन से अधिक सोना है जो दुनिया के कुल सोने का 14 फीसदी है. इसमें से लगभग 5,300 टन सोना गिरवी रखा हुआ है. बता दें कि गोल्ड लोन की ब्याज दरें पर्सनल लोन की तुलना में कम होती हैं.
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