सोमवार को भारत के कोराबारी जगत में बेहद बड़ी घटना हुई...दरअसल HDFC Bank और HDFC के मर्जर को HDFC के बोर्ड ने मंजूरी दे दी है. दोनों कंपनियों के विलय के बाद HDFC, रिलायंस और TCS के बाद देश की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बन सकती है.
अगर बैंकिग क्षेत्र की बात करें तो यह विलय देश के सबसे बड़े बैंक SBI को पीछे छोड़ देगा. इस मर्जर के बाद HDFC का मार्केट कैप SBI से भी ज्यादा हो जाएगा. प्रस्तावित सौदे के तहत HDFC लिमिटेड के प्रत्येक 25 इक्विटी शेयरों के लिए HDFC बैंक के 42 इक्विटी शेयर मिलेंगे. इस मर्जर के तहत HDFC ने ट्रांसफॉरमेशनल मर्जर के जरिए HDFC बैंक में 41 फीसदी हिस्सा लेने का फैसला लिया है.
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HDFC लिमिटेड के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा कि, दो बराबर की कंपनियों का मिलन है. हमें लगता है कि रीयल एस्टेट कानून की वजह से आने वाले वक्त में होम लोन बिजनेस में तेज बढ़ोतरी होगी. हाउसिंग सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्री का दर्जा मिलने और सरकार के हाउसिंग फॉर ऑल जैसे कदमों से भी इस सेक्टर को फायदा होगा. HDFC का मानना है कि इस मर्जर से HDFC बैंक को अपना होम लोन बिजनेस(Home Loan Business) बढ़ाने में मदद मिलेगी.
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बता दें कि, विलय के बाद HDFC बैंक पूरी तरह से सार्वजनिक शेयरधारकों के स्वामित्व में होगा और HDFC लिमिटेड के मौजूदा शेयरधारकों के पास HDFC बैंक का 41 फीसदी हिस्सा होगा.
मौजूदा वक्त में HDFC लिमिटेड 5.26 लाख करोड़ रुपये के कुल वैल्यू के साथ भारत की सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी है. जबकि HDFC बैंक भारत का सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक है, जिसका कुल मार्केट कैप 8.35 लाख करोड़ रुपये का है. विलय के बाद होम लोन लेने वाले लोगों को सस्ता होम लेन मिल सकेगा.
HDFC बैंक और HDFC का मर्जर साल 2024 के दूसरी या तीसरी तिमाही में पूरा हो सकता है. HDFC का कहना है कि प्रस्तावित ट्रांजेक्शन से HDFC बैंक को लोन पोर्टफोलियो को मजबूत करने में मदद मिलेगी और इसका मौजूदा कस्टमर बेस भी बढ़ेगा.