भारत में बेरोजगारी को लेकर नए आंकड़े सामने आए है. भारत के युवा बढ़ती बेरोजगारी से जूझ रहे हैं, लगभग 83 फीसदी बेरोजगार आबादी इससे प्रभावित होने का दावा इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (आईएलओ) और मानव विकास संस्थान (आईएचडी) द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 में किया गया है.
रिपोर्ट में चिंताजनक आकड़े सामने आए है. जिसमें भारत के कुल बेरोजगार युवाओं में कम से कम माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं की तुलना करें तो साल 2000 में 35.2 फीसदी का बेरोजगारी दर का आंकड़ा दोगुना होकर 2022 में 65.7 फीसदी हो गया है.
गरीब राज्यों और हाशिए पर रहने वाले समूहों में युवाओं का माध्यमिक शिक्षा के बाद स्कूल छोड़ने का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, उच्च शिक्षा में बढ़ते नामांकन के बावजूद, क्वालिटी एजुकेशन संबंधी चिंताएँ बनी हुई है.
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2000 से 2019 के बीच युवा रोजगार और अल्परोजगार में वृद्धि हुई, लेकिन COVID-19 महामारी के वर्षों के दौरान इसमें गिरावट देखी गई. हालाँकि, शिक्षित युवाओं ने इस समय के दौरान काफी उच्च स्तर की बेरोजगारी का अनुभव किया है.
वेतनों में मुख्य रूप से स्थिरता या गिरावट आई है, जिसमें 2019 के बाद नियमित मजदूरों और स्व-रोज़गार करने वाले व्यक्तियों के लिए वास्तविक वेतन में 2019 के बाद नकारात्मक प्रवृत्ति दिखाई दे रही है. अकुशल कामगारों के बड़े हिस्से को 2022 में जरुरी न्यूनतम वेतन तक नहीं मिला है.