SEBI ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसमें म्यूचुअल फंडों के लिए नई निवेश नीति को लागू करने का ऐलान किया गया है. इस नई नीति के अनुसार, वह सभी स्कीमें जिनमें विदेश में ईटीएफ में निवेश किया जाता है, को नए निवेशों से बाहर रख दिया गया है. यह आदेश 1 अप्रैल से प्रभावी होगा. इस नई निवेश नीति के अनुसार, म्यूचुअल फंडों के लिए विदेशी सिक्योरिटीज में निवेश की अधिकतम सीमा 7 अरब डॉलर रखी गई थी. जनवरी 2022 में, म्यूचुअल फंडों का निवेश इस सीमा तक पहुंच गया था, जिसके बाद सेबी ने नए निवेशों को रोक दिया है.
इस नई निवेश नीति के पीछे का कारण है विदेश में ईटीएफ के लिए 1 अरब डॉलर की सीमा. म्यूचुअल फंडों का निवेश इस सीमा के करीब पहुंच गया है, इसलिए मार्केट नियामक ने नई निवेश नीति को लागू करने का निर्णय लिया है.
सेबी ने अपने नवीनतम निर्देशों के बारे में म्यूचुअल फंड हाउसेज के प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था AMFI को एक लेटर लिखा है. मनीकंट्रोल के रिपोर्ट के अनुसार मनीकंट्रोल को एक लेटर मिलने का दावा किया गया है. म्यूचुअल फंडों के दो प्रमुख निवेश स्कीम है जो विदेश में निवेश करते हैं. पहली स्कीम सीधे विदेशी शेयरों में निवेश करती है जिसके लिए 7 अरब डॉलर की निवेश सीमा है. दूसरी स्कीम एक फंड ऑफ फंड है जो विदेश में ईटीएफ की यूनिट्स खरीदती है. इसके लिए 1 अरब डॉलर की निवेश सीमा है.
म्यूच्यूअल फण्ड बाजार में मुख्य विदेशी निवेश फण्ड मौजूद है जिनमें Nippon India US Equity Opportunities, Nippon India Japan Equity, Nippon India Taiwan Equity और Nippon India ETF Hang Seng BeES शामिल हैं
ईटीएफ के अलावा ज्यादातर ग्लोबल फंड्स निवेशकों से नया निवेश ले रहे हैं.जैसे ही यह निवेश तय मैक्सिमम लिमिट तक पहुंच जाएगा, वे निवेश लेना बंद कर देंगे.