J. R. D. Tata Biography: ब्रिटेन का अगला PM कौन बनेगा ये न सिर्फ ब्रिटेन में बल्कि भारत में भी ‘टॉक ऑफ द टाउन’ है क्योंकि दावेदारों की रेस में ऋषि सुनक (Rishi Sunak) सबसे आगे हैं. ऋषि सुनक भारतीय मूल के हैं लेकिन उनका हमारे मुल्क से एक और खास रिश्ता है. उनके सास-ससुर भारत में रहते हैं, जिनका नाम है नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति (Narayan Murthy and Sudha Murthy).
सुधा मूर्ति खुद में देश की जानी-मानी शख्सियत हैं. इंफोसिस को बनाने में उनका योगदान किसी से छुपा नहीं है. उन्हीं सुधा मूर्ति के दफ्तर में एक ऐसे शख्स की तस्वीर लगी है जिसकी कंपनी बिजनेस में उनकी प्रतिद्वंदी है. वो शख्स हैं जे आर डी टाटा (J. R. D. Tata).
ये वो शख्स हैं जिन्हें भारतीय एविएशन इंडस्ट्री का जनक कहा जाता है. पेरिस में जन्मे फर्राटेदार फ्रेंच बोलने वाले इस शख्स ने अपनी जिंदगी की आखिरी सांस स्विट्जरलैंड के जिनेवा में ली थी. यानि न तो वो भारत में जन्मे और न ही भारत में उनकी मौत हुई लेकिन भारत का औद्योगिक इतिहास उनके बिना अधूरा है. समाज कल्याण के लिए किए गए उनके काम के नजदीक भी फिलहाल कोई उद्योगपति पहुंच नहीं पाया है. यही वजह है कि भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया.
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आज की तारीख यानी 29 जुलाई का संबंध जेआरडी टाटा (J. R. D. Tata) से हैं. भारतीय उद्योग जगत के इस कोहिनूर का जन्म 29 जुलाई 1904 में पेरिस में हुआ था.
शुरुआत में हमने आपको सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) के बारे में बताया, तो किस्से की शुरुआत भी वहीं से करते हैं. ये कहानी खुद सुधा मूर्ति बताती हैं. जिसके मुताबिक उन्होंने इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस (Indian Institute of Science) से स्नातक की डिग्री लेने के बाद टाटा की कंपनी टेल्को में इंजीनियर की नौकरी का विज्ञापन देखा जिसमें लिखा था कि सिर्फ़ पुरुष इंजीनियर ही इस पद के लिए आवेदन भेज सकते हैं.
सुधा ने तुरंत जेआरडी को एक पोस्टकार्ड लिखा जिसमें उन्होंने इस इश्तेहार के लिए उनकी कंपनी की आलोचना की. पत्र पाते ही जेआरडी ने तुरंत हस्तक्षेप किया और उनको तार भेजकर न सिर्फ़ इंटरव्यू के लिए बुलाया गया बल्कि वो टाटा शॉप फ़्लोर पर काम करने वाली पहली महिला इंजीनयर भी बनीं.
आठ साल बाद एक शाम वो बॉम्बे हाउस (Bombay House) की सीढ़ियों पर जेआरडी के सामने पड़ गईं. जेआरडी इस बात से परेशान हुए कि वो अकेली हैं, उनके पति उन्हें लेने नहीं आए हैं और रात हो रही है. जेआरडी (J. R. D. Tata) तब तक उनके साथ खड़े होकर उनसे बतियाते रहे, जब तक उनके पति नारायणमूर्ति (Narayan Murthy) उन्हें लेने नहीं आ गए. टाटा के प्रति सम्मान दिखाने के लिए सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) अभी तक अपने दफ़्तर में टाटा की तस्वीर रखती हैं. टाटा की सादगी के और भी बेइंतहा किस्से मशहूर हैं.
यहां आपको एक और दिलचस्प किस्सा बताते हैं. ये उस वक्त की बात है, जब भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के लीजेंड दिलीप कुमार (Dilip Kumar) अपने करियर की ऊंचाई पर थे. वे प्लेन से यात्रा कर रहे थे. उन्होंने देखा, उनके सामने ही एक शख्स बैठा हुआ है और न्यूज पेपर पढ़ रहा है. प्लेन के सारे पैसेंजर दिलीप कुमार को देख रहे थे और वो शख्स अपने में ही मशगूल था.
दिलीप उनके पास गए और हेलो कहा... जवाब में उस शख्स ने भी अभिवादन किया. दिलीप ने कहा- क्या आप फिल्में देखते हैं. उस शख्स ने कहा- कभी-कभी. पिछली फिल्म मैंने एक साल पहले देखी थी. दिलीप ने कहा- मैं फिल्मों में काम करता हूं. उस शख्स ने कहा- अच्छा तो आप एक्टर हैं.
इसके बाद प्लेन लैंड हुआ तो दिलीप कुमार (Dilip Kumar) ने उस शख्स से हाथ मिलाया और कहा- आपके साथ यात्रा करके अच्छा लगा. वैसे मेरा नाम दिलीप कुमार है. जवाब में उस शख्स ने कहा- धन्यवाद, मेरा नाम जे आर डी टाटा (J. R. D. Tata) है.
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दरअसल, ये मुलाकात थी रील लाइफ के हीरो की रियल लाइफ के हीरो के साथ. दिलीप साहब जे आर डी को पहचानते थे लेकिन जेआर डी उन्हें नहीं. रियल लाइफ का हीरो इसलिए क्योंकि जब जे आर डी ने टाटा समूह का कारोबार संभाला तो उस कंपनी का टर्न ओवर महज 680 करोड़ रुपये थे जिसे बढ़ाकर वे 34 हजार करोड़ रुपये तक ले गए. जब उन्होंने टाटा समूह की कमान संभाली को समूह के पास 14 कंपनियां थीं.
50 साल बाद जब उन्होंने रिटायरमेंट लिया तो समूह के पास 95 कंपनियां थीं. उन्होंने साल 1925 में एक ट्रेनी के तौर पर टाटा समूह में एंट्री की और 1938 में पूरे समूह की बागडोर संभाली. उस समय उनकी उम्र महज 34 साल थी. . जेआरडी ने एक से एक क़ाबिल लोगों को अपनी कंपनी में या बोर्ड में नौकरी नहीं दी. उनमें शामिल थे जेडी चौकसी (J. D. Choksi), नेहरू मंत्रिमंडल में मंत्री रहे जॉन मथाई (John Matthai), मशहूर कानूनविद् नानी पालखीवाला (Nanabhoy Palkhivala ), रूसी मोदी (Russi Mody) और सुमंत मुलगांवकर (Sumant Moolgaokar).
मुलगांवकर टाटा के सबसे नज़दीक थे. उनको वो बहुत मानते थे और बकौल रतन टाटा टाटा सुमो कार का नाम भी उन्हीं के नाम के पहले दो अक्षरों पर रखा गया था. लोगों को ग़लतफ़हमी है कि इस कार का नाम जापानी कुश्ती के नाम पर रखा गया है.
टाटा समूह की कमान संभालते हुए उन्होंने कर्मचारियों के हित में कई योजनाओं को लागू किया. मसलन टाटा समूह की कंपनियों ने प्रति दिन आठ घंटे कार्य, मुफ्त चिकित्सा, मुफ्त शिक्षा और आवास जैसी योजनाएं. कहा जाता है कि उस समय रेलवे के बाद देश में सबसे ज्यादा नौकरियां टाटा समूह ही देता था.
जेआरडी टाटा विमान उड़ाने का लाइसेंस प्राप्त करने वाले न सिर्फ देश के पहले पायलट थे बल्कि साल 1932 में उन्होंने ही टाटा एयरलाइंस (Tata Airlines) की नींव रखी. टाटा एयरलाइंस की पहली फ्लाइट वे खुद कराची से मुंबई लेकर आए थे. उस समय इसमें 25 किलो चिट्ठियां थी. उस समय की ब्रिटेन सरकार उन्हें हर चिट्ठी को पहुंचाने के लिए चार आने देती थी.
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सेकेंड वर्ल्ड वार के बाद साल 1946 में टाटा एयरलाइंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन गई. इसका नाम बदलकर एयर इंडिया लिमिटेड रख दिया गया. आजादी मिलने के बाद सरकार ने एयर इंडिया के 49% शेयर खरीद लिए. साल 1953 में सभी 9 निजी हवाई कंपनियों का इंडियन एयरलाइंस (Indian Airlines) में विलय कर दिया गया और जेआरडी टाटा को ही कंपनी की कमान सौंप दी गई. वे 25 सालों तक इस पद पर रहे.
50 वर्ष से अधिक समय तक ‘सर दोराबजी’ (Dorabji Tata) टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी रहे. इसी दौरान उन्होंने एशिया का पहला कैंसर अस्पताल टाटा मेमोरियल सेंटर (Tata Memorial Centre) की स्थापना मुंबई में की. इसके अलावा आज भारत की सबसे बड़ी IT कंपनी की टाटा कंसलटेंसी सर्विस (Tata Consultancy Services) की स्थापना भी उन्होंने ही 1968 में की थी.
उनके योगदान को देखते हुए भारतीय वायुसेना ने उन्हें 1 अप्रैल 1974 को उन्हें एयर वाइस मार्शल (Air Vice Marshal) पद से सम्मानित किया. भारत सरकार ने उन्हें पहले पद्म विभूषण (Padma Vibhushan) और सन 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ‘भारत रत्न’ (Bharat Ratna) से सम्मानित किया.
अब चलते-चलते 29 जुलाई को घटी दूसरी ऐतिहासिक घटनाओं पर भी निगाह डाल लेते हैं.
1891: प्रसिद्ध स्वाधीनता सेनानी ईश्वर चन्द्र विद्यासागर (Ishwar Chandra Vidyasagar) का निधन
1949: ब्रिटिश ब्राडकॉस्टिंग कार्पोरेशन यानी BBC रेडियो पर प्रसारण शुरू हुआ
1981: लंदन के सेंट पॉल कैथेड्रल में प्रिंस चार्ल्स और डायना की शादी (Prince Charles and Diana Marriage)
1983: पहले चालक रहित विमान का परीक्षण किया गया
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