Housing Projects in Noida: नोएडा और ग्रेटर नोएडा (Noida-Greater Noida) में घर खरीदने वालों को अभी भी इंतज़ार है कि उस पर उनका मालिकाना हक कब होगा. पज़ेशन की डेट निकल जाने के बाद भी लोग फ्लैट मिलने का इंतजार कर रहे हैं. इस वजह से लोगों पर किराए और EMI का बोझ बढ़ता जा रहा है.
यहां करीब 1.65 लाख फ्लैट फंसे हुए हैं और लोगों का 1.18 लाख करोड़ रु. अटक गया है. बता दें कि देश में फंसे हुए कुल रेज़िडेंशियल प्रोजेक्ट का 35 फीसदी हिस्सा इन दो जगहों से आता है. प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एनारॉक (Anarock) के मुताबिक, नोएडा फंसे हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट के मामले में सबसे दयनीय शहर है.
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इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, यह जानकारी नोएडा डायलॉग और नमो सेवा केंद्र द्वारा जारी व्हाइट पेपर में दी गई है.
इस व्हाइट पेपर से पता चलता है कि एक लाख लोगों को फ्लैट के रजिस्टर होने का इंतजार है. साथ ही 60,000 लोगों को पज़ेशन डेट निकल जाने के बाद भी फ्लैट पर मालिकाना हक नहीं मिला है.
व्हाइट पेपर के बारे में बताते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि हमें जल्द से जल्द इन समस्याओं पर ध्यान देना होगा. केंद्र और यूपी सरकार को इस समस्या का समाधान जल्द निकालने की जरूरत है.
यूपी के रेरा पोर्टल के मुताबिक, 2011 से अब तक गौतम बुद्ध नगर में 850 से ज्यादा रिहायशी प्रोजेक्ट लांच हो चुके हैं. इनमें से 90 फीसदी नोएडा अथॉरिटी, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और यमुना एक्सप्रेसवे डेवलपमेंट अथॉरिटी के दायरे में आते हैं. इनमें से करीब 50 फीसदी प्रोजेक्ट तीन साल से भी ज्यादा समय से अटके हुए हैं. रेरा पोर्टल पर इससे संबंधित करीब 27,992 शिकायतें की जा चुकी हैं.
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