पाकिस्तान और श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. कर्ज संकट और फंडिंग की कमी की वजह से दोनों देशों में महंगाई दर काफी ज्यादा है. पाकिस्तान की सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरों में 100 बीपीएस की बढ़ोतरी की है जो अब 21% तक हो गई है. वहीं श्रीलंका की सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं की है.
ब्लूमबर्ग के एक सर्वे के मुताबिक, 37 अर्थशास्त्रियों में से 34 ने अनुमान लगाया था कि पाकिस्तान में ब्याज दरें 100-300 बेसिस पॉइंट्स तक बढ़ सकती हैं. मार्च में पाकिस्तान में ब्याज दरें 300 बेसिस पॉइंट्स तक बढ़ी थीं. बता दें कि अक्टूबर 1996 के बाद यह दूसरी बार है कि पाकिस्तान में ब्याज दर 20% तक पहुंची हो.
दुबई में Tellimer के एक रणनीतिकार हसनैन मलिक का कहना है कि पाकिस्तान और श्रीलंका में फिस्कल पॉलिसी अभी भी ठीक नहीं है. दरों में बढ़ोतरी से बढ़ती महंगाई के कम होने के आसार हैं. हसनैन ने आगे बताया कि दुनियाभर में ईंधन और खाद्य कीमतों में कमी आई है लेकिन पाकिस्तान और श्रीलंका में भी इसका असर हुआ है, ये अभी कहा नहीं जा सकता है.
हालांकि, श्रीलंका को पिछले महीने मिले 3 अरब डॉलर के इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड लोन से कुछ राहत मिल सकती है लेकिन कर्ज के जाल में फंसे होने की वजह से अभी भी आर्थिक संकट को पूरा तरह खत्म करना मुश्किल है. पाकिस्तान भी आईएमएफ बेलआउट पैकेज के क्लीयर न होने की वजह से डेट डिफॉल्ट की कगार पर है.
वहीं, श्रीलंका के लोन को मंज़ूरी देते समय आईएमएफ ने कहा कि 2025 की शुरुआत तक हेडलाइन इन्फ्लेशन 4-6% तक कम हो जाना चाहिए. साथ ही आईएमएफ ने सेंट्रल बैंक से कहा है कि जब भी ज़रूरत हो, वह तुरंत अपनी पॉलिसी में सुधार के लिए तैयार रहे.