मौजूदा वक्त में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में काफी तेजी चल रही है. लेकिन उसके बाद भी काफी समय से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. लेकिन अब ऐसा माना जा रहा है कि, पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद ईंधन की कीमतों को बढ़ाया जा सकता है.
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बता दें कि, सोमवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत 94 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं. जब कोरोना के नए वैरिएंट Omicron ने दस्तक दी थी, उस वक्त कच्चे तेल की कीमत में गिरावट आई थी. एक दिसंबर को इसकी कीमत 69 डॉलर पर आ गई थी जो चार नवंबर को 81 डॉलर थी. लेकिन ओमीक्रोन का खतरा कम होते ही इसमें फिर तेजी आई है. यूक्रेन और रूस के बीच जारी तनाव भी इसका प्रमुख कारण है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में चार नवबंर के बाद 12 डॉलर प्रति बैरल यानी 15 फीसदी की तेजी आई है जबकि इस दौरान देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है.
India Ratings and Research में प्रिंसिपल इकनॉमिस्ट सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि घरेलू तेल कंपनियों का यह व्यवहार पॉलिटिक्स पर आधारित है, इकनॉमिक्स पर नहीं. अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें इस स्तर पर बनी रहती हैं तो हमें चुनाव के बाद बड़ा झटका झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए.
सिन्हा ने कहा कि चुनावों के बाद घरेलू तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमत में भारी बढ़ोतरी कर सकती हैं ताकि अभी हो रहे नुकसान की भरपाई की जा सके. इससे महंगाई के और बढ़ने के आसार भी हैं.