Property Auction: आज के समय में मकान खरीदना या महंगी कार खरीदने के लिए लोन लेना आम बात है. अमूमन बैंक लोन (Bank Loan) लेने के एवज में कोई शख्स अपनी प्रॉपर्टी (Property Auction) को गिरवी रखता है और अगर वह उस लोन को वक्त पर नहीं चुका पाता, तो प्रॉपर्टी नीलाम कर दी जाती है. लेकिन नीलामी के वक्त भी ऐसी कई ज़रूरी बातें होती हैं, जो लोगों को फायदा पहुंचा सकती हैं.
अगर कोई व्यक्ति लगातार दो महीने तक EMI नहीं देता है तो उसे बैंक रिमाइंडर भेजता है. रिमाइंडर भेजने के बाद भी तीसरी किश्त जमा नहीं होने की स्थित में संबंधित व्यक्ति को कानून नोटिस भेजा जाता है. इसके बाद भी किश्त जमा नहीं करने पर बैंक उस प्रॉपर्टी को NPA घोषित कर देता है और संबंधित व्यक्ति को डिफॉल्टर...
NPA के 3 प्रकार होते हैं- सबस्टैंडर्ड असेट्स, डाउटफुल असेट्स और लॉस असेट्स. कोई भी लोन खाता एक साल तक सबस्टैंडर्ड असेट्स कैटेगरी में रहता है, इसके बाद डाउटफुल असेट्स और जब लोन वसूली की कोई उम्मीद नहीं रहती तब उसे लॉस असेट्स माना जाता है और इसी कैटिगरी में नीलामी होती है.
असेट की नीलामी से पहले बैंक को उसकी उचित मूल्य को लेकर नोटिस जारी करना होता है. इसमें रिजर्व प्राइस और नीलामी के समय का जिक्र होता है. अगर बॉरोअर को लगता है कि असेट की कीमत कम रखी गई है तो वो इसे चुनौती दे सकता है. वहीं. काम की बात ये है कि अगर नीलामी में से मिली रकम से लोन क्लोज होने के बाद रकम बचती है, तो बची हुई रकम आप बैंक से ले सकते हैं.
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