Medicine Check From QR: आप जो दवा ले रहे हैं, वह असली है या नकली, अब ये QR कोड से पता चल सकेगा. केंद्र सरकार ने 300 दवाईयों के ब्रांड पर क्यूआर कोड और बारकोड लगाने का आदेश दिया जो लागू हो गया है. भारत के ड्रग्स कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने फार्मा कंपनियों को इस बारे में सख्त निर्देश जारी कर दिए हैं.
QR कोड लगाने से असली और नकली दवाओं की पहचान तो कर ही पायेंगे, साथ ही इससे कच्चे माल के सप्लायर से लेकर दवा मैन्युफक्चरर कंपनी को भी ट्रैक किया जा सकेगा. इससे ये भी पता किया जा सकेगा कि दवा के फॉर्मूले के साथ कोई छेड़छाड़ की गई है या नही. साथ ही, API प्रोडक्ट कहां से आया और कहां जा रहा है, इसे भी ट्रैक कर पायेंगे.
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इन दवाओं में डोलो, एलिग्रा, शेलकेल, अनवांडेट 72, काल्पोल और मेफ्टेल जैसी दवाओं के नाम शामिल हैं.
इस नियम को लागू करने के लिए सरकार ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 में संशोधन किया है. इसके तहत दवा निर्माता कंपनियों को दवाओं पर H2/QR कोड लगाना ज़रूरी होगा. दवाओं पर लगाए जाने वाले कोड में पहले तो यूनिक प्रोडक्ट आइडेंटिफिकेशन कोड होगा. इसके तहत दवा का प्रॉपर और जेनरिक नाम, ब्रांड और निर्माता का नाम और पता, बैच नंबर, स्पेशल पैकेट किस बैच में बना है, मैन्यूफैक्चरिंग डेट, दवा की एक्सपायरी डेट और निर्माता के लाइसेंस नंबर की जानकारी भी देनी होगी.
बता दें कि केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले ही इसका नोटिफिकेशन जारी किया गया था और आज 1 अगस्त से इसे लागू कर दिया गया है.
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