10 फरवरी को RBI अपनी मौद्रिक नीति (monetary policy) लाने जा रही है. ऐसा मना जा रहा है कि, RBI के द्वारा रिवर्स रेपो रेट में 15-25 अंकों की बढ़ोतरी की जा सकती है. आपको बता दें कि, जिस दर पर RBI बैंको से पैसा वापस लेती है उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है.
रिवर्स रेपो रेट यह वह दर है जो बैंक तब अर्जित करता है जब वह RBI के पास अपनी अधिशेष नकदी रखता है. मुद्रा स्फीति को काबू में रखने के लिए RBI द्वारा रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी की जाती है.
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पिछली बार RBI के द्वारा अगस्त 2018 में रिवर्स रेपो रेट को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत किया गया था. हालांकि RBI द्वारा रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी को बचत साधनों जैसे की FD में निवेश करने वालों के लिए एक अच्छे फैसले के तौर पर देखा जा रहा है.
जैसे हमको मिलने वाले लोन का ब्याज रेपो रेट पर निर्भर करता हैं, वैसे ही बैंकों के साथ हमारी बचत पर ब्याज दरें रिवर्स रेपो दर पर निर्भर करती हैं. रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी से हमारे बचत खातों और निवेश या बचत साधनों पर मिलने वाले ब्याज में भी बढ़ोतरी होती है.