RBI : इंफ्रास्ट्रक्चर लोन देने के नियमों में बदलाव करेगी RBI, NPA को कम करने लिए उठाया कदम

Updated : May 06, 2024 18:44
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Editorji News Desk

पिछले कई सालों में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर लोन डूबने के वजह से कई बड़े बैंक मुसीबतों का सामना कर रहे है. कई बैंकों के एनपीए ( NPA ) में इन डुबायें गए लोन की बड़ी भागीदारी है. 2012-13 से लेकर कई बैंक इंफ्रास्ट्रक्चर लोन डूबने की वजह से भारी संकट का सामना कर रहे है. इसके वजह से बैंकिंग सिस्टम पर बुरा असर पड़ा है. बैंको के बढ़ते बोझ से अब  रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की फाइनेंसिंग को लेकर सख्ती करने का फैसला किया है. आरबीआई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को लोन देने के नियमों में नए बदलाव करने वाला है. नए नियमों का का ड्राफ्ट बन चुका है और आरबीआई ने प्रस्ताव जारी किया है.

आरबीआई ड्राफ्ट में इंफ़्रा प्रोजेक्ट का नया नियम 

आरबीआई ड्राफ्ट के मुताबिक, बैंकों को प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन के दौरान लोन अमाउंट का 5 फीसदी अलग से रखना होगा. इस राशि को प्रोजेक्ट के चालू हो जाने पर 2.5 फीसदी और रीपेमेंट की स्थिति में आ जाने के बाद 1 फीसदी पर भी लाया जा सकेगा. आरबीआई की वेबसाइट के अनुसार, 2021 के सर्कुलर में इस रकम को फिलहाल 0.4 फीसदी रखा जाता है. बैंकों को प्रोजेक्ट में आ रही किसी भी समस्या पर गंभीरता से ध्यान देना होगा. साथ ही समाधान के विकल्प तैयार रखने होंगे. केंद्रीय बैंक ने कहा है कि यदि कई बैंक मिलकर कंसोर्टियम बनाकर 15 अरब रुपये तक के प्रोजेक्ट की फाइनेंसिंग कर रहे हैं तो उन्हें 10 फीसदी लोन अमाउंट रिजर्व रखना होगा. आरबीआई ड्राफ्ट के मुताबिक, बैंकों को इस बात की जानकारी रखनी होगी कि इंफ्रा प्रोजेक्ट कब पूरा हो रहा है. अगर उसमें देरी की आशंका है तो बैंक को अपनी तरफ से कदम उठाने पड़ेंगे. आरबीआई ने कहा है कि यदि किसी प्रोजेक्ट में 3 साल से भी अधिक देरी की आशंका है तो उसे स्टैंडर्ड लोन से स्ट्रेस लोन की कैटेगरी में डालना पड़ेगा.

बैंको को इंफ़्रा प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग करनी जरुरी  

आरबीआई ने शुक्रवार को प्रस्ताव सामने रखा. जिसके मुताबिक बैंकों को कहा गया है कि, अंडर कंस्ट्रक्शन इंफ्रा प्रोजेक्ट को लोन देने से पहले तमाम नियमों और जोखिम को मद्देनजर रखकर फैसला लेना होगा. इसके साथ ही लगातार मॉनिटरिंग भी करनी होगी ताकि कोई समस्या को हल किया जा सके. प्रस्ताव को ऐसे प्रोजेक्ट को लेकर बैंकों के अनुभवों से सीखते हुए नए नियमों ड्राफ्ट किया गया है. ऐसे अधिकांश प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर डिफॉल्ट साबित हुए हैं. इसके चलते बैंकों की स्थिति बिगड़ी है. अब देश में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट तेजी से बढ़ रहे हैं. सरकार भी इकोनॉमी को मजबूत करने के लिए इन प्रोजेक्ट को बढ़ावा दे रही है. 

 

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