Small and medium REITs: मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REIT) रेगुलेशन 2014 में संशोधन को मंज़ूरी दे दी है. ये मंज़ूरी छोटे और मध्यम REITs के लिए नया रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने के लिए दी गई है. शनिवार, 25 नवंबर को सेबी की बोर्ड मीटिंग के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने ये जानकारी दी.
नए नियमों के मुताबिक, REITs के पास एसेट वैल्यू मिनिमम 50 करोड़ रुपए होनी चाहिए जो कि पहले 500 करोड़ रुपए थी.
REITs के जरिए निवेशक तब भी रियल एस्टेट में निवेश कर सकते हैं जब उनका फिजिकल प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक न भी हो. REITs वो कंपनी या ट्रस्ट होती हैं जो निवेशकों से पैसा इकट्ठा करती हैं और उसका इस्तेमाल इनकम जनरेट करने वाली प्रॉपर्टी को खरीदने के लिए करती हैं. इन प्रॉपर्टीज को किराएदारों को लीज पर दिया जाता है और किराए से जो इनकम होती है, उसे निवेशकों के बीच डिविडेंड के रूप में वितरित किया जाता है. REITs के लिए ये ज़रूरी है कि वे किराए से होने वाली आय का कम से कम 90 फीसदी हिस्सा निवेशकों को वितरित करें.
REITs स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्ट होते हैं. इससे निवेशकों REITs में शेयर खरीद सकते हैं.
इसके साथ ही SEBI ने MSM (माइक्रो, स्मॉस, मीडियम) REITS में नए फ्रैक्शनल ओनरशिप के नियम को भी मंज़ूरी दे दी है. निवेशक को किसी REITS के तहत आने वाले रियल एस्टेट में हिस्सा भी मिल सकता है.
सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज फ्रेमवर्क में भी बदलाव को मंज़ूरी दे दी है. नए नियमों के मुताबिक, अब एनजीओ जैसी नॉन- प्रॉफिट एंटिटी कम से कम 50 लाख रु. जुटा सकती है. पहले ये सीमा 1 करोड़ रु. थी. इसके अलावा सोशल स्टॉक एक्सचेंज के जरिए निवेश की सीमा को 2 लाख रु. से घटाकर 10,000 रु. कर दिया गया है.
ये भी पढ़ें: दिल्ली में फ्लैट खरीदने का है सपना? DDA स्कीम के तहत शुरू होने वाले हैं रजिस्ट्रेशन