CPI Inflation Rate: थोक महंगाई दर घटने के बाद भी कैसे बढ़ रही खुदरा महंगाई? यहां समझें खेल

Updated : Sep 30, 2022 17:25
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Editorji News Desk

CPI Inflation Rate of India: थोक महंगाई दर (Wholesale Price Index- WPI)  में लगातार गिरावट आने के बाद भी अगस्‍त में खुदरा महंगाई दर (Consumer price index- CPI) अचानक बढ़कर 7 फीसद पर पहुंच गई, जबकि थोक महंगाई दर घटने के बाद खुदरा महंगाई दर भी घटनी चाहिए थी. आज हम यहां यह जानने की कोशिश करेंगे कि थोक महंगाई दर (WPI) में नरमी के बाद भी आखिर खुदरा महंगाई दर इतना कैसे बढ़ गई.

WPI और CPI में क्या है अंतर?

थोक स्तर पर सामानों की कीमतों का आकलन करने के लिए थोक मूल्य सूचकांक (WPI) का इस्तेमाल किया जाता है. दरअसल, थोक मूल्य सूचकांक भारत में व्यापारियों द्वारा थोक (Wholesale) में बेचे गए सामानों की कीमतों में बदलाव को मापता है. इसमें मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स को सबसे ज्यादा वेटेज दिया जाता है.

आपको बता दें कि WPI के आंकड़े देश भर में संस्थागत स्रोतों और चुनी हुई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर कलेक्ट किए जाते हैं, जबकि खुदरा स्तर पर महंगाई मापने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) का इस्तेमाल किया जाता है. CPI का जुड़ाव सीधे तौर पर उपभोक्ताओं से होता है.  

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क्या है WPI और CPI में गैप बढ़ने का मुख्य कारण

पिछले कुछ सालों से WPI में गिरावट देखी गई है, जबकि CPI में लगातार वृद्धि देखी जा रही है. धीरे-धीरे इन दोनों के बीच का गैप बढ़ता ही जा रहा है. 2015 में WPI और CPI के बीच सबसे ज्यादा गैप देखा गया था. इन दोनों के बीच बढ़ने वाले गैप का सीधा संबंध इन दोनों इंडेक्स में काउंट किये जाने वाले गुड्स से है. जी हां, आइए इसे एक सरल उदाहरण से समझते हैं.

दरअसल, व्होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) को मुख्य रूप से तीन कैटेगरी में बांटा गया है, जिसमें सबसे ज्यादा वेटेज मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स को दिया गया है. व्होलसेल प्राइस में CPI के मुकाबले बहुत ही कम वस्तुओं को काउंट किया जाता है. वहीं, इसके उलट कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी कि CPI में बहुत ही छोटी-छोटी वस्तुओं जैसे गुटखा, तंबाकु, अगरबत्ती जैसे गुड्स को काउंट किया जाता है, जिसे ग्राहक खुदरा बाजार से खरीदते हैं.

खुदरा महंगाई बढ़ने का दूसरा अहम कारण

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि WPI घटने पर कम इनपुट कॉस्‍ट का इस्‍तेमाल कंपनियां अपने मार्जिन की भरपाई में करेंगी, क्योंकि सप्लाई चैन बाधित होने के कारण बीते दिनों उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा था. इससे खुदरा महंगाई की दर जस की तस बनी रहेगी. इसके फरवरी तक 6 फीसदी के ऊपर बने रहने के आसार हैं.

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