Rice Price: देश में अब चावल के दाम में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. इंटरनेशनल मार्केट में चावल की कीमतें 11 साल में सबसे ज्यादा हो गई हैं और अब भारत में भी चावल की कीमतें बढ़ सकती हैं. बता दें कि अल नीनो (El Nino) की स्थिति बनने की वजह से एशिया और अफ्रीका में मानसून पर संकट बना हुआ है, जिसके चलते चावल की खेती पर असर पड़ सकता है और दामों में इजाफा हो सकता है.
भारत दुनिया के चावल के कुल उत्पादन का 40 फीसदी से अधिक निर्यात करता है. साल 2022 में भारत ने 5.6 करोड़ टन चावल निर्यात किया था. भारत से निर्यात होने वाले चावल के दाम 9 फीसदी बढ़ गए हैं जो कि 5 साल में सबसे ज्यादा है.
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बी वी कृष्णा राव के मुताबिक, जैसा कि देश में अब चावल उगाने वाले किसानों को 7 फीसदी ज्यादा की दर से नई मिनिमम सपोर्ट प्राइस दी जाएगी. इस वजह से अन्य सप्लायर्स ने भी दाम बढ़ाना शुरू कर दिया है.
चावल का करीब 90 फीसदी उत्पादन एशिया में होता है जहां अल नीनो का खतरा बना हुआ है. चावल की खेती में पानी की बहुत ज़रूरत होती है और अल नीनो की वजह से एशिया व अफ्रीका में बारिश कम हो सकती है. इस वजह से चावल की पैदावार पर असर पड़ेगा और कीमतें बढ़ने की संभावना है. अल नीनो का चावल की कीमतों पर असर पड़े, उससे पहले ही ग्लोबल मार्केट में इसके दाम 11 साल के उच्च स्तर पर पहुंच चुके हैं. फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के ग्लोबल राइस प्राइस इंडेक्स में ये जानकारी दी गई है.
बता दें कि यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (USDA) ने चावल उत्पादन करने वाले टॉप के 6 देशों - बांग्लादेश, चीन, भारत, इंडोनेशिया, थाइलैंड और वियतनाम के रिकॉर्ड चावल उत्पादन करने का अनुमान लगाया था. चावल के बिज़नेस के एक्सपर्ट्स का कहना है कि अल-नीनो का असर केवल एक देश तक ही सीमित नहीं रहेगा, इसका असर लगभग सभी चावल उत्पादक देशों के आउटपुट पर पड़ेगा.