ZEEL Case: मार्केट रेगुलेटर SEBI ने सोमवार को एस्सेल ग्रुप (Essel Group) के चेयरमैन सुभाष चंद्रा (Subhash Chandra) और जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ZEEL) के CEO पुनीत गोयनका (Punit Goenka) पर बड़ी कार्रवाई की है.
सेबी ने जारी एक अंतरिम आदेश में किसी लिस्टेड कंपनी या उसकी सब्सिडियरी कंपनियों में डायरेक्टर या मैनेजमेंट में प्रमुख पदों पर रहने पर रोक लगा दी है.
चंद्रा और गोयनका पर आरोप है कि उन्होंने लिस्टेड कंपनी जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ZEEL) और एस्सेल ग्रुप की दूसरी लिस्टेड कंपनियों में अपने फायदे के लिए फंड्स की हेराफेरी की है.
सेबी ने ZEEL को 7 दिन दिए हैं जिनमें उसे बोर्ड के सामने ये ऑर्डर पेश करना होगा. साथ ही सेबी ने सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका को 21 दिन के अंदर जवाब/ ऑब्जेक्शन फाइल करने को कहा है.
सेबी को जांच में पता चला है कि एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा ने 4 सितंबर 2018 को यस बैंक (Yes Bank) को एलओसी यानी लेटर ऑफ कंफर्ट जारी किया था. ये LoC, एस्सेल ग्रुप की अन्य कंपनियों की तरफ से यस बैंक से लिए गए लोन की गारंटी के तौर पर जारी किया गया था.
इस लेटर में कहा गया था कि एस्सेल ग्रीन मोबिलिटी पर जो 200 करोड़ रुपये का लोन है उसके बदले ग्रुप की किसी कंपनी की तरफ से यस बैंक में 200 करोड़ रुपये का फिक्स्ड डिपॉजिट रखा जाएगा.
ये भी साफ किया गया था कि डिफॉल्ट की स्थिति में यस बैंक इस FD को लोन के बदले एडजस्ट कर सकता है.
LoC की वजह से यस बैंक ने एस्सेल ग्रुप की 7 कंपनियों को दिए लोन के बदले में जी एंटरटेनमेंट की 200 करोड़ रुपये की FD को एडजस्ट कर लिया. हालांकि ZEE लिमिटेड ने SEBI को बताया था कि जी एंटरटेनमेंट को ये पैसे लौटा दिए गए थे.
बता दें कि, चंद्रा और गोयनका ने बोर्ड की मंज़ूरी लिए बिना एलओसी पर साइन किए थे.
SEBI ने आदेश में लिखा है कि फंड्स की हेराफेरी, बेहद सुनियोजित तरीके से की जा रही थी. कुछ मामलों में तो ये भी देखा गया कि दो दिन के अंदर ही 13 संस्थाओं के ज़रिए ट्रांजेक्शंस किए गए.