Silver Loan : गोल्ड लोन (Gold Loan) की तरह सिल्वर लोन (Silver Loan) के लिए पॉलिसी बनाने की मांग की जा रही है. बैंकों ने आरबीआई से मांग की है कि गोल्ड लोन की तरह सिल्वर लोन के लिए भी पॉलिसी बनाई जाए.
अगर ऐसा होता है तो इससे ग्राहकों को चांदी के गहनों पर भी लोन मिल सकेगा.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक बैंक ऑफिशियल ने कहा कि ज्वेलरी मेकर्स बैंकों से चांदी, चांदी की वस्तुओं की खरीद और ज्वैलरी की मैन्युफैक्चरिंग के लिए लोन देने को कह रहे हैं.
मौज़ूदा गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम, 2015 (Gold Monetisation Scheme, 2015) के तहत बैंक ज्वेलरी एक्सपोर्टर्स या घरेलू निर्माताओं को गोल्ड लोन ऑफर कर सकते हैं. लोन का भुगतान रुपए में करना होता है.
लेकिन उधारकर्ता एक किलो या उससे अधिक के फिजिकल गोल्ड में लोन की कुछ राशि का भुगतान कर सकते हैं.
भारत में पिछले साल चांदी का निर्यात लगभग 25,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है और इस सेक्टर में कर्ज की भारी मांग हो रही है. भारत के जेम ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (GJEPC) के हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 के दौरान चांदी की निर्यात 16.02% बढ़कर 23,492.71 करोड़ रुपए हो गया, जबकि पिछले वर्ष यह 20,248.09 करोड़ रुपए था.
एक बैंक अधिकारी ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि इस सेगमेंट में सालाना करीब 14-15 फीसदी की वृद्धि देखी गई है. अगर हमारे पास भी गोल्ड लोन के जैसा ही फ्रेमवर्क होगा तो बेहतर रहेगा.
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने पहले बैंक/ लोन संस्थानों को चेतावनी दी थी कि सही मॉनिटरिंग सिस्टम की कमी और गोल्ड लोन के एंड यूज को सुनिश्चित नहीं करने की वजह से कुछ बेईमान ज्वैलर्स की ओर से जीएमएल (गोल्ड मेटल लोन) से संबंधित फ्रॉड के कुछ मामले सामने आए हैं.
इसने बैंकों को जीएमएल ग्राहकों की क्रेडिट संबंधी ज़रूरतों का आकलन करने का निर्देश दिया था जिसके लिए आवेदकों की क्रेडिट योग्यता (Credit Worthiness) और ट्रैक रिकॉर्ड (Track Record), मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों के ट्रेड साइकल और ऑफर पर कोलैटरल सिक्योरिटीज को ध्यान में रखने के लिए कहा गया था.