दिल्ली स्थित थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव ने एमडीएच और एवरेस्ट मसाला कंपनियों को लेकर चल रहे विवाद से भारत के आधे से ज्यादा मसाला शिपमेंट को खतरा होने की बात कही है. जीटीआरआई ने बुधवार को कहा कि, जिन देशों ने भारतीय मसालों की क्वालिटी के बारे में चिंता जताई है, या आपत्ति जाहिर की है, उस पर तत्काल ध्यान देने चाहिए और कार्रवाई करनी चाहिए.
जीटीआरआई ने बुधवार को पीटीआई को दिए बयान में चिंता जताते हुए कहा कि, भारत ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में अमेरिका , हांगकांग, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और मालदीव को लगभग 692.5 मिलियन डॉलर के मसालों का निर्यात किया था, इसलिए दांव ऊंचे हैं और इसपर परिणाम हो सकता है. वित्त वर्ष 2024 के दौरान, भारत का मसाला निर्यात $4.25 बिलियन का था, जो वैश्विक मसाला निर्यात का 12 प्रतिशत हिस्सा है.
“अगर चीन - सिंगापुर द्वारा स्थापित मिसालों के आधार पर हांगकांग और आसियान में कार्रवाई से प्रभावित होकर , इसी तरह के उपायों को लागू करने का फैसला करता है, तो भारतीय मसाला निर्यात में गिरावट देखने को मिल सकती है. जीटीआरआई ने एक रिपोर्ट में कहा, संभावित असर 2.17 अरब डॉलर के निर्यात को प्रभावित कर सकता है, जो भारत के वैश्विक मसाला निर्यात का 51.1 प्रतिशत है.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अगर यूरोपीय संघ (ईयू), जो नियमित रूप से गुणवत्ता के मुद्दों पर भारतीय मसालों की खेप को खारिज कर देता है, अगर ऐसा करता है तो स्थिति और खराब हो सकती है.
पिछले महीने भारत स्थित एमडीएच और एवरेस्ट के उत्पादों पर कथित तौर पर स्वीकार्य सीमा से ज्यादा कीटनाशक 'एथिलीन ऑक्साइड' (ईटीओ) पाए जाने के कारण प्रतिबंध लगा दिया गया था. 5 अप्रैल को, हांगकांग में खाद्य सुरक्षा केंद्र (सीएफएस) ने एमडीएच और एवरेस्ट मसालों दोनों के प्री-पैकेज्ड मसाला मिश्रण उत्पादों के नमूनों में ईटीओ की मात्रा को चिह्नित किया था.
सीएफएस ने देश में उत्पादों को बन कर दिया था जिसमें , मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला मिश्रित मसाला पाउडर, एमडीएच द्वारा करी पाउडर मिश्रित मसाला पाउडर और एवरेस्ट द्वारा मछली करी मसाला की बिक्री को निलंबित कर दिया था. 18 अप्रैल को, सिंगापुर फूड एजेंसी (एसएफए) ने भी एवरेस्ट फिश करी मसाला में ईटीओ के अंश पाए जाने के बाद इसे वापस लेने की अधिसूचना जारी की थी.