Additional duty on US apples: जी20 समिट के ठीक पहले भारत सरकार ने अमेरिका से आने वाले सेब (American apples) पर लगने वाली एडिशनल ड्यूटी को हटाने का फैसला लिया जिसकी आलोचना हो रही है. सरकार के इस फैसले से सेब किसान नाराज हैं. इसके बाद वाणिज्य मंत्रालय ने सफाई देते हुए कहा कि वाशिंगटन सेब पर एडिशनल ड्यूटी (Additional Duty) खत्म करने से भारत के किसानों को कोई नुकसान नहीं होगा.
वाणिज्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव पीयूष कुमार ने कहा कि अमेरिकी सेब और अखरोट पर 50 फीसदी और 100 फीसदी का 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' (MFN) का शुल्क लागू रहेगा, केवल 20 फीसदी अतिरिक्त शुल्क हटाया गया है. उन्होंने कहा कि सेब, अखरोट और बादाम पर एमएफएन शुल्क में कोई कटौती नहीं की गई है. यह शुल्क अभी भी अमेरिकी मूल के उत्पादों सहित सभी आयात किए गए उत्पादों पर लागू है.
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उन्होंने आगे कहा कि इस फैसले का सेब, अखरोट और बादाम के घरेलू उत्पादकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसके बजाय इस कदम से सेब, अखरोट और बादाम के प्रीमियम मार्केट सेगमेंट में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प मिलेंगे.
बता दें कि केंद्र सरकार ने 2019 में अमेरिका के भारत से निर्यात किए जाने वाले स्टील और एल्युमिनियम प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ाने के बाद अमेरिकी सेब और अखरोट पर एडिशनल ड्यूटी लागू करने का फैसला लिया था.
पीयूष कुमार ने आगे कहा कि अगर इस फैसले का कोई विपरीत असर पड़ता है तो सरकार के पास पर्याप्त पॉलिसी स्पेस है जिससे वो सेब की खेती करने वाले स्थानीय किसानों का सपोर्ट कर सकती है. उन्होंने कहा कि केवल एडिशनल ड्यूटी को खत्म किया गया है, 50 फीसदी की बेसिस ड्यूटी बरकरार रहेगी.
दरअसल 2018-19 में अमेरिकी सेब का आयात 127,908 टन से घटकर 2022-23 में 4486 टन पर आ गया था. अमेरिकी सेब पर एडिशनल ड्यूटी लगने के बाद उसकी जगह दूसरे देशों के सेब ने भारतीय बाज़ार में ले ली.
बता दें कि केंद्र सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने अमेरिका को उपहार में अमेरिकी सेब (वाशिंगटन एपल) पर इंपोर्ट ड्यूटी को 70 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के सेब किसानों को बड़ा नुकसान होगा.
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