USA Debt Ceiling Crisis: बीते कुछ दिनों से अमेरिका के डेट सीलिंग संकट (Debt Ceiling Crisis) को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है. अगर 1 जून से पहले इसका समाधान नहीं निकलता है तो अमेरिका पहली बार डिफॉल्टर बन सकता है. अमेरिका के पास गौतम अडानी की नेटवर्थ से भी कम कैश बचा है जो कि 57 अरब डॉलर है. जबकि गौतम अडानी की नेटवर्थ ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स (bloomberg billionaires index) के मुताबिक 64.2 अरब डॉलर है.
जैसे- जैसे 1 जून की डेडलाइन करीब आती जा रही है, वैसे- वैसे अमेरिका पर इस संकट का असर दिखने लगा है. अमेरिका के शेयर मार्केट में गिरावट देखने को मिल रही है और बॉरोइंग कॉस्ट (Borrowing Cost) भी बढ़ रही है. अमेरिका रोजाना लगभग 1.3 अरब डॉलर की ब्याज का भुगतान कर रहा है. इस संकट की वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सिडनी में होने वाली क्वाड (QUAD) की मीटिंग को भी कैंसल कर दिया था.
अगर अमेरिका डिफॉल्ट करता है तो इससे देश में 83 लाख नौकरियां कम हो जाएंगी और देश के जीडीपी में 6.1 फीसदी की गिरावट आएगी. देश में मंदी आने की संभावना बढ़ जाएगी जो कि 65 फीसदी है. बता दें कि डिफॉल्ट करने का असर सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया पर देखने को मिल सकता है.
सभी देशों के अपने खर्च होते हैं जिन्हें पूरा करने के लिए सरकारें टैक्स और अन्य स्त्रोतों से कमाई करती हैं. खर्चे हमेशा कमाई से ज्यादा होते हैं और अमेरिका के साथ भी ऐसा ही है. अमेरिका भी अपने खर्चों को पूरा करने के लिए कर्ज लेता है जिसकी एक लिमिट होती है, इसी लिमिट को डेट सीलिंग कहते हैं. अमेरिकी में कर्ज लेने की ये लिमिट 31.4 ट्रिलियन डॉलर है जिसे दिसंबर 2021 में बढ़ा गया था. ये लिमिट 1960 से अब तक 78 बार बढ़ाई जा चुकी है. अगर इस बार भी डेट सीलिंग बढ़ाई जाती है तो अमेरिका डिफॉल्ट करने से बच सकता है.