दिग्गज एक्टर आशीष विद्यार्थी (Ashish Vidyarthi) ने खास तौर पर सोशल मीडिया पर फिल्मों के बहिष्कार के बारे में बात की है, जिसका सामना हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को इस पूरे साल करना पड़ा है. एक इंटरव्यू में एक्टर ने कहा कि 'ऐसी नफरत बेकार है.' बॉलीवुड के 'सुस्त दौर' के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि 'क्रिएटिव लोग बैठकर नुकसान, हिट या फ्लॉप का रोना नहीं रोते'.
डीएनए इंडिया के साथ एक इंटरव्यू में, आशीष ने कहा, 'अगर आप ख़ुद से नाराज़ हैं, तो आपको दूसरों में बुराई दिखेगी और उससे नाराज़गी होगी. इस तरह की नफरत बेकार है, इससे हमें कुछ नहीं मिलता. मैं कुछ लोगों से मिलता हूं, जो अपने काम में अच्छे नहीं होते हैं, न ही वे अच्छा बोलते हैं. मैं उनसे प्रभावित नहीं होता. मैं अपना काम करता रहता हूं सभी को मेरी यही सलाह है. किसी की बुराई मत करो, लेकिन अपना कुछ कमाल का काम करो.
आशीष ने पिछले कुछ दशकों में कई फिल्मों में कमाल की एक्टिंग की है और राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड भी जीता है. एक्टर ने 'द्रोहकाल', '1942: ए लव स्टोरी', 'ओह डार्लिंग ये है इंडिया', 'बाजी', 'मृत्युदाता', 'जिद्दी', 'मेजर साब', 'सोल्जर', 'हसीना मान जाएगी', 'अर्जुन पंडित' , 'कहो ना प्यार है' और 'वास्तव' सहित कई अन्य में अभिनय किया.
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