बॉलीवुड में कई मशहूर जोड़िया रही है जिसमें एक है सलीम खान (Salim Khan) और जावेद अख्तर (Javed Akhtar) की. जिन्होंने अपने लेखन के हुनर से लेखन कई शानदार फिल्मों की कहानी लिखी. हाल ही में बीबीसी के साथ एक इंटरव्यू में, जावेद अख्तर ने याद किया कि कैसे उन्होंने और सलीम खान ने एक साथ लिखना शुरू किया और कहा कि यह सलीम ही थे जिन्होंने उन्हें स्क्रीनराइटर बनने के लिए सपोर्ट किया.
इस जोड़ी ने 1970 के दशक में हिंदी सिनेमा को अपना एंग्री यंग मैन दिया और उस दौर में लेखन के साथियों ने उस समय की कुछ सबसे सफल फिल्में लिखी. जैसे 'दीवार', 'जंजीर', 'शोले', 'डॉन' और 'हाथी मेरे साथी'. जावेद ने बीबीसी न्यूज़ हिंदी से बातचीत में कहा कि, 'वह फ़िल्मों में निर्देशक बनना चाहते थे और 1966 में 'सरहदी लुटेरा' नामक फ़िल्म में सहायक निर्देशक और संवाद लेखक के रूप में काम कर रहे थे. सलीम फिल्म में एक छोटी भूमिका निभा रहे थे और यहीं से उनकी दोस्ती की शुरुआत हुई थी. उन्होंने याद करते हुए कहा, 'सलीम साहब उन चांद लोगो में से जो मुझे बहुत सपोर्ट करते थे.'
जावेद ने आगे बताया कि, 'उनकी और सलीम की दोस्ती इसलिए पनपी क्योंकि वे एक-दूसरे के करीब रहते थे. अगर शायद मैं कहीं और रह रहा होता तो इतनी मुलाकात न होती उनसे लेकिन मुझे पास में ही कमरा मिल गया था और अक्सर मैं उनके घर पर ही रुका करता था.' जावेद ने बताया कि, 'हम दोनों घंटों समुद्र के किनारे बैठते थे और यहीं से उन्हें कहानी के आइडिया आने लगे.
यही समय था जब दोनों को अपना पहला घोस्ट राइटर्स के रूप में अपना पहला राइटिंग गिग मिला, जिसने उन्हें 5000 रुपये का भुगतान किया. जिसके तुरंत बाद, उन्हें सिप्पी फिल्म्स में लेखकों के रूप में नौकरी मिल गई और 'हाथी मेरे साथी' में राजेश खन्ना के साथ काम करना बंद कर दिया. एक दिन बैठ के हमने तय किया कि कल से हम पार्टनर हैं.
जावेद ने इस बारे में भी बताया कि, 'कैसे 11 साल तक साथ काम करने के बाद वे अलग हो गए. जावेद ने कहा, 'शुरू में जब हम नाकाम लोग, संघर्ष कर रहे थे, तो बिल्कुल एक थे. कोई हमारा और दोस्त नहीं था, हम दोनों ही बैठ के सुबह से शाम तक काम करते थे. शाम को भी साथ होते थे, यहां तक कि रात को खाना भी साथ होता था.'
ये भी देखें : Dipika Kakar Pregnancy: 'Sasural Simar Ka' फेम कपल ने शेयर की बड़ी खुशखबरी, मां बनने वाली हैं एक्ट्रेस
उन्होंने आगे कहा, 'यूं कहिए हम दोनों 24 में से 15-16 घंटे तो साथ ही होते थे.' जावेद ने कहा कि जब सलीम सफल हो गए तो उनकी जिंदगी बड़ी और अलग हो गई. जब कामयाबी आई, तो नए-नए लोग जिंदगी में आना शुरू हो गए और सलीम सर्कल से धीरे-धीरे अलग हो गए, और जब अलग हुए तो हमारा वो मानसिक तालमेल टूट गया था.'