कल हो ना हो, वेक अप सिड, वीर-ज़ारा और लगान जैसी फ़िल्मों के गाने लिखने वाले गीतकार और शायर जावेद अख़्तर ( Javed Akhtar) न सिर्फ़ व्यवसायिक सिनेमा की एक जानी-मानी हस्ती हैं बल्कि उर्दू अदब का भी एक मक़बूल नाम हैं. जावेद का नाम ही अपने आप में उनकी मुकम्मल पहचान है मगर शायरी का अंदाज भी उन्हें विरासत में मिला है. जावेद जाने माने शायर जांनिसार अख़्तर और मशहूर लेखिका सफिया के बेटे हैं. इतने बड़े परिवार से तआलुक्कत रखने के बाद भी जावेद को मुंबई में काफी जद्दोजहद करनी पड़ी. आइये एक नजर डालते जावेद अख्तर की जिंदगी के सफर पर...
कुछ अलग करने की चाह में पहुंचे थे मुंबई
कुछ अलग करने की चाह के चलते 4 अक्टूबर 1964 को जावेद अख्तर मुंबई आ गए. उस वक्त उनके पास न खाने के पैसे थे न कहीं रहने को घर. कई रातें सड़क पर सोने के बाद उनको कमाल अमरोही के स्टूडियो में ठिकाना मिला. मगर बॉलीवुड में अपना करियर बनाने का उनका सफर कम आसान नहीं था.
डायरेक्टर बनना चाहते थे जावेद अख्तर
जावेद अख्तर कभी राइटर नहीं बनना चाहते थे. ग्रेजुएशन के बाद उनका सीधा प्लान था कि वे असिस्टेंट डायरेक्टेर बनेंगे, वो भी गुरु दत्त की फिल्म के. जावेद अख्तर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वे दिग्गज एक्टर गुरु दत्त के बहुत बड़े फैन थे और आज भी हैं. लेकिन गुरु दत्त की फिल्म का असिस्टेंट डायरेक्टर बनने की उनकी चाह अधूरी ही रह गई. जब मैं आया तो उसके 8-10 दिन के अंदर गुरु दत्त का निधन हो गया. मैं उनसे मिल भी नहीं पाया. मैं असिस्टेंट डायरेक्टर तो बना लेकिन कमाल अमरोही की फिल्म का. हालांकि लोगों को उनकी राइटिंग इतनी पसंद आई कि वो राइटर ही बन गए.
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जब सलीम-जावेद की जोड़ी बनी
सलीम खान और जावेद अख्तर ने साथ में तकरीबन 12 साल काम किया. हालांकि उनकी लिखी फिल्में बाद तक बनती रहीं, लेकिन दोनों की जोड़ी 1970 से 1982 के दरमियान ही साथ रही. इस छोटे से वक्त में ही सलीम-जावेद की जोड़ी ने 24 फिल्मों के डायलॉग और पटकथा लिखी, जिनमें से 20 सुपरहिट साबित हुईं. इन तमाम हिट्स में ‘शोले’ भी शामिल है, जिसे आज भी लोग याद करते हैं.
पर्सनल लाइफ भी रही दिलचस्प
शादीशुदा होने के बावजूद भी जावेद साहब का दिल शबाना आजमी पर आया जोकि उनके गुरू कैफी आजमी की बेटी थी. असल में जावेद अख्तर की पहली शादी उनसे दस साल छोटी हनी से हुई थी, उनके दो बच्चे ज़ोया और फरहान अख्तर हैं, लेकिन जब साल 1970 में जावेद, कैफी आजमी के यहां गीत संगीत सीखने जाते थे, उस वक्त उनकी नजदीकियां शबाना से बढ़ी. शबाना आजमी जावेद के तेज दिमाग पर मर-मिटी. इसके बाद जावेद ने हनी से तलाक लेने का फैसला कर लिया. मगर फिर भी शबाना के पिता इस रिश्ते के लिए मंजूर नहीं हुए क्योंकि कैफी आजमी को लगता था कि शबाना के चलते ही हनी और जावेद का रिश्ता टूट गया. हालांकि बाद में कैफी आजमी ने दोनों की शआदी की इजाजत दे दी. 1984 में जावेद और शबाना ने एक दूसरे से शादी कर ली.
दिल को छू लेते हैं जावेद अख्तर के गाने
जावेद अख्तर ने हर तरह और हालात पर गीत लिखे. उनके गाने की ख़ास बात ये रहती थी की वो जिस भी मूड को पकड़ते थे, बड़ी सादगी से हल्के अंदाज़ में गीत लिख देते. जैसे ‘घर से निकलते ही कुछ दूर चलते ही, रस्ते में है उसका घर’….या शाहरुख़ का सुपरहिट सांग ‘मैं कोई ऐसा गीत गाऊं, कि आरज़ू जगाऊं अगर तुम कहो. अपनों की याद दिलाता गीत ‘मैं जहां रहूं मैं कही भी हूं तेरी याद साथ है’ और जावेद अखतर की ग़ज़लों में भी वही टच मिलेगा जैसे की ‘तुमको देखा तो ये ख़याल आया, ज़िन्दगी धूप तुम घना साया’.
उनके गाने आज के दौर में भी यूथ से कनेक्टेड. जैसे की ‘रॉक ऑन’ मूवी के सभी गाने. ‘जिंदगी मिलेगी न दोबारा’ में उनकी कविता ‘दिलों में तुम अपनी बेताबियां लेके चल रहे हो, तो ज़िंदा हो तुम’ तो यूथ एंथम बन गया था.
अवॉर्ड
जावेद अख्तर को 8 बार लिरिक्स के लिए फिल्मफेयर और नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है. इतना ही नहीं, भारत सरकार द्वारा वो पद्मश्री और पद्म भूषण से भी सम्मानित हो चुके है.