List of Indian movies nominated for Oscars : 95 वें अकादमी पुरस्कार के लिए एसएस राजामौली की बेहतरीन फिल्म 'RRR' से 'नाटू नाटू' गाने को बेस्ट ऑरिजनल सॉन्ग की कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया है. शौनक सेन की 'ऑल दैट ब्रीथ्स' को बेस्ट डॉक्यूमेंट्री की श्रेणी में, और कार्तिकी गोंजाल्विस की 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' के बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म (Best Documentary Short Film) की कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया है.
बॉलीवुड की कई ऐसी फिल्में रही हैं जिन्हें भारत की ओर से ऑस्कर के लिये भेजा गया है. लेकिन अभी तक किसी भी भारतीय फिल्म को अकादमी पुरस्कार नहीं मिल सका है, कुछ ऐसी फिल्में जरूर रहीं हैं जिन्हें प्रतियोगिता के लिये नॉमिनेट किया गया है तो आइये जानते हैं ऑस्कर के लिये नॉमिनेट की जाने वाली भारतीय फिल्मों के बारे में...
नरगिस, सुनील दत्त, राज कुमार और राजेंद्र कुमार स्टारर ये फिल्म महबूब खान के डायरेक्शन में बनी है जो बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त हिट हुई थी. फिल्म की कहानी राधा (नरगिस) नाम की एक गरीबी से जूझ रही गांव की महिला की कहानी है, जो अपने पति के गुजर जाने के बाद अपने बेटों को पालने के लिए संघर्ष करती है. दिन रात मेहनत करने और मुश्किलों के बाद भी वो अपनी ईमानदारी को नहीं छोड़ती है. फिल्म में महिला सशक्तिकरण को दिखाए जाने के लिए फिल्म को काफी सराहा गया था. 'मदर इंडिया' ऑस्कर में बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म के लिए नॉमिनेट होने वाली पहली इंडियन फिल्म थी.
अकादमी अवॉर्ड में नॉमिनेट होने वाली ये दूसरी भारतीय फिल्म थी. मीरा नायर के निर्देशन में बनी यह फिल्म एक 12 साल के लड़के की कहानी है, जो अपने परिवार से दूर मुंबई की झुग्गी-झोपड़ियों में जिंदगी गुजारता है, और जीवन की कई चुनौतियों का सामना करता है. फिल्म में शफीक सैयद, रघुवीर यादव, अनीता कंवर, नाना पाटेकर, हंसा विट्ठल और चंदा शर्मा भी अहम किरदारों में हैं. यह फिल्म द न्यूयॉर्क टाइम्स की 'द बेस्ट 1,000 मूवीज़ एवर मेड' की सूची में शामिल है.
आशुतोष गोवारिकर के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में आमिर खान और ग्रेसी सिंह ने लीड रोल में थे. फिल्म गांव के लोगों के एक छोटे समूह के बारे में है, जो एक क्रिकेट चैंपियनशिप में ब्रिटिश शासकों को चुनौती देते हैं. फिल्म में आमिर क्रिकेट मैच में अपनी टीम को जिताने के बीच काफी संघर्ष करते है. मैच जीतने के लिए पूरा गां जी जान लगा देता है क्यों कि ये चुनौती जीतने पर उनके गांव को तीन साल का लगान नहीं देना पड़ेगा.
रिंटू थॉमस और सुष्मित घोष के डायरेक्शन में बनी ये डॉक्यूमेंट्री फिल्म दलित महिलाओं के नेतृत्व में अखबार चलाने वाले निडर पत्रकारों के एक ग्रुप की कहानी बताती है. इस फिल्म में उत्तरप्रदेश के रूरल एरिया के पत्रकारों के संघर्ष के बारे में दिखाया गया है. फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे वो इस अखबार को सामाजिक दायरे से जोड़े रखने के लिए प्रिंट से डिजिटल में तब्दील करती हैं और इस दौरान उनके सामने जाति और जेंडर जैसी कई चुनौतियां आती हैं.
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