लंबे समय से इस बात पर बहस चल रही है कि फिल्मों के रिलीज होने के बाद सोशल मीडिया पर फिल्म के रिव्यू नेगेटिव मिलने पर दर्शक फिल्मों के नकार देते हैं. इससे फिल्मों पर सीधा असर पड़ता है.
केरल हाई कोर्ट में फिल्म समीक्षा पर चल रही बहस ने दिलचस्प मोड़ ले लिया है. अब इस मामले में हाई कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी यानी न्याय मित्र ने एक सुझाव दिया है. न्याय मित्र ने कोर्ट से सिफारिश की है कि फिल्मों के रिलीज के 48 घंटों के अंदर सोशल मीडिया पर उस का रिव्यू नहीं करना चाहिए.
एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट में सोशल मीडिया पर मूवी रिव्यू की बमबारी का जिक्र किया गया है. इसमें सुझाव दिया गया है कि इसे रोकने के लिए पुलिस की साइबर सेल को एक खास पोर्टल बनाने के लिए कहा जाए, जिस पर इसको लेकर शिकायत की जा सके.
इस रिपोर्ट पर केरल हाई कोर्ट के जस्टिस देवन रामचंद्रन ने केंद्र सरकार की स्थिति बताने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि लोगों को फिल्मों के बारे में नेगेटिव कमेंट्स के पीछे की सच्चाई का एहसास होने लगा है. अदालत ने यह भी कहा कि नेगेटिव रिव्यूज के बावजूद हाल ही में कुछ नई फिल्में बेहद सफल रही हैं.
रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि फिल्म की समीक्षा करने वालों को रचनात्मक आलोचना करनी चाहिए. किसी भी एक्टर, फिल्ममेकर या फिल्म से जुड़े लोगों के बारे में अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. किसी पर भी व्यक्तिगत हमला या आरोप नहीं लगाना चाहिए.
हालांकि, अभी न्याय मित्र श्याम पैडमैन की रिपोर्ट पर मुकदमा चलाने की बात सामने नही आई है, क्योकि यह कानूनन जबरन वसूली, ब्लैकमेल आदि के दायरे में नही आता.
मामले में खासकर सोशल मीडिया व्लॉगर्स पर लगाम लगाने की बात कही गई है. अदालत में उन शिकायतों का भी जिक्र हुआ, जिसमें व्लॉगर्स के खिलाफ अच्छे रिव्यू के बदले पैसे मांगने के आरोप हैं.
कोच्चि सिटी पुलिस ने 25 अक्टूबर, 2023 को 'राहेल माकन कोरा' के डायरेक्टर की एक शिकायत दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया कि कई सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर फिल्म को अपमानित करने के लिए जानबूझकर प्रयास किए गए थे.
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