Year Ender 2022: ज्यादा वक्त नहीं गुजरा, कुछ सालों पहले ही ज्यादातर फिल्में काल्पनिक घटनाओं पर आधारित होती थीं, लेकिन अब बॉलीवुड बदल रहा है...बायोपिक फिल्मों की न सिर्फ बाढ़ आ रही है बल्कि वे कामयाब भी हो रही हैं... हालांकि इसके साथ-साथ कई नी कैटेगरी की फिल्में भी बॉलीवुड में आपको मिल जाएंगी.
तो आपको बताते हैं 2022 में रिलीज हुई सच्ची घटनाओं पर आधारित कुछ बेहतरीन फिल्मों के बारें में, जिसे आपको जरूर देखना चाहिए.
गंगूबाई काठियावाडी (Gangubai Kathiawadi)
'गंगूबाई काठियावाडी' फिल्म गंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी ( Gana Harjivandas Kathiawadi) के जीवन पर आधारित है. इस फिल्म में लीड रोल आलिया भट्ट ने निभाया है. गंगूबाई बचपन में एक्ट्रेस बनना चाहती थी. लेकिन उनके पति ने धोखा देकर उन्हें महज 500 में कोठे पर बेच दिया. फिर लाला की गैंग के एक सदस्य ने गंगूबाई के साथ बलात्कार किया था. इसके बाद इंसाफ के मांग की लड़ाई शुरु हुई. डॉन करीम लाला की बहन होने के चलते जल्दी ही कमाठीपुरा की कमान गंगूबाई के हाथ में आ गई और उसने कई बदलाव किए. इस फिल्म ने कमाई के मामले में टॉप 5 फिल्मों में जगह बनाई है.
शाबाश मिठू (Shabaash Mithu)
श्रीजीत मुखर्जी के जरिए निर्देशित, 'शाबाश मिठू' भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज के जीवन पर आधारित फिल्म है और तापसी पन्नू ने इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभाया है. 'शाबाश मिठू' 4 फरवरी को रिलीज हुई है. ये फिल्म मिताली राज के जीवन के उतार-चढ़ाव, असफलताओं और उत्साह के पलों को दिखाती है.
सम्राट पृथ्वीराज (Samrat Prithviraj)
डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी के द्वारा निर्देशित, 'सम्राट पृथ्वीराज' 21 जनवरी को रिलीज हुई है. ये फिल्म भारतीय राजा पृथ्वीराज चौहान के जीवन पर आधारित है. राजा को घोर आक्रमणकारी मोहम्मद गौरी के खिलाफ लड़ने के लिए जाना जाता है. फिल्म में मानुषी छिल्लर ने राजकुमारी संयोगिता की भूमिका निभाया है.
द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files)
ये फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है. निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की यह फिल्म कम बजट में बनीं, लेकिन दुनिया भर में इस फिल्म ने खूब कमाई की है. 19 जनवरी 1990 की रात को बढ़ती हिंसा के बाद 5 लाख कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी में अपने घरों और यादों को छोड़ना पड़ा था. इस फिल्म में कृष्णा पंडित एक युवा कश्मीरी पंडित शरणार्थी हैं, उनके दादा पुष्करनाथ पंडित ने 1990 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को देखा था. उन्होंने जीवन भर धारा 370 को निरस्त किए जाने के लिए संघर्ष किया था. जेएनयू के छात्र के रूप में कृष्णा, अपनी गुरु प्रोफेसर राधिका मेनन के प्रभाव में इस बात पर यकीन करने से इंकार करता हैं कि कोई नरसंहार हुआ था और वह आज़ाद कश्मीर के लिए लड़ता है. अपने दादा की मृत्यु के बाद ही उन्हें सच्चाई का पता चलती है.
जोगी (Jogi)
17 सितंबर को रिलीज हुई अली अब्बास जफर की फिल्म 'जोगी' की कहानी साल 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों पर आधारित है. फिल्म की कहानी जोगिंदर सिंह उर्फ जोगी नाम के शख्स पर आधारित है. कहानी की शुरुआत 31 अक्टूबर 1984 को, उस समय देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से शुरू होती है. इसके बाद दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाकों में दंगे होते दिखते हैं. दंगों के बीच जोगी और उसके पिता अनजाने में बस में चढ़ते हैं, जिसके बाद उन्हें लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ता है. मुश्किलों में फंसा जोगी मौत के मंजर के बीच अपने परिवार के साथ-साथ दूसरों को भी बचाने का फैसला करता है. जोगी का किरदार दिलजीत दोसांझ ने निभाया है.
झुंड (Jhund)
झुंड सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है, जिसमें अमिताभ बच्चन ने विजय बरसे का किरदार निभाया है. विजय बरसे वो शख्स हैं जिन्होंने झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को फुटबॉल टीम बनाने के लिए प्रेरित किया था. फिल्म की कहानी में विजय एक रिटायर्ड प्रोफेसर हैं, जो एक दिन बस्ती के बच्चों को बारिश में ड्रम से फुटबॉल खेलते हुए देखने के बाद सोचते हैं कि अगर इन्हें सही प्रशिक्षण मिले तो ये शानदार खिलाड़ी बन सकते हैं और बस लग जाते हैं ख्वाब पूरे करने में. राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक नागराज पोपटराव मंजुले ने फिल्म 'झुंड' का निर्देशन किया है.
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