Children's Day 2022 : बच्चें हमारे देश की ऐसी आधारशिला होती है जिनके पैदा होते ही हम तय कर लेते है की यह हमारे कल का भविष्य हैं. शायद इसलिए बॉलीवुड में या हर सिनेमा जगत में हर साल बच्चों पर हजारों फ़िल्में बनती है. इस बाल दिवस हम बताते है उन फिल्मों के बारे में जो बच्चों को केंद्र में रखकर बनाई जाती हैं. ये फिल्में देखकर न सिर्फ आपके बच्चों का मनोरंजन होगा, बल्कि उन्हें इनसे कुछ सीखने को भी मिलेगा.
साल 2007 में आई फिल्म 'तारें जमीं पर' एक ऐसे बच्चे की कहानी दिखाई गई है जिसे डिस्लेक्सिया नाम की बीमारी होती है. जिसे पढ़ने-लिखने में परेशानी होती है. लेकिन शैतानियों से तंग आकर पेरेंट्स बच्चे को बोर्डिंग स्कूल भेज दिया जाता है. जहां बच्चे के छुपे हुए टैलेंट को बाहर निकालने में मदद करता है उसका क्लास टीचर. अमोल गुप्ता के निर्देशन में बनी इस फिल्म में आमिर खान और दर्शील सफारी नजर आए थे.
निर्देशक नीला माधब पांडा के निर्देशन में बनी फिल्म 'आई एम कलाम' को दर्शकों के साथ-साथ क्रिटिक्स का भी भरपूर प्यार मिला. इस फिल्म के लिए हर्ष मायर को नेशनल अवॉर्ड भी मिला था. यह एक ऐसे बच्चे की कहानी है जो भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम से बहुत प्रभावित होता है और उनसे मिलने की इच्छा रखता है.
साल 2011 में आई फिल्म 'चिल्लर पार्टी' मुंबई के पॉस कॉलोनी की कहानी है जिसमें एक अनाथ बच्चा अपना डॉगी लेकर वहां रहने आ जाता है. पहले कॉलोनी के बच्चे उसे खूब तंग करते है लेकिन बाद में बच्चों के बीच अच्छी दोस्ती हो जाती है. लेकिन बाद में जब कोई नेता डॉगी को कॉलोनी से बाहर निकालने की कोशिश करता है तो सभी बच्चे एकजुट होकर इस समस्या से लड़ते हैं.
अमोल गुप्ता के निर्देशन में बनी कॉमेडी ड्रामा फिल्म है 'स्टैनली का डब्बा' साल 2011 में आई थी. यह एक ऐसे टीचर और स्टूडेंट की कहानी जिसमें एक होनहार स्टूडेंट स्टैनली टीचर और बच्चों का फेवरिट है. लेकिन स्कूल में टीचर वर्मा जी को दूसरों का टिफिन खाने की बुरी लत होती है. वो दूसरों का लंच बॉक्स खाते हैं लेकिन स्टैनली के टिफिन न लाने से वर्मा जी उसे स्कूल से निकाल देते है. जिसके बाद कहानी में आता है मोड़ ये फिल्म हल्की-फुल्की कॉमेडी से बच्चों का खूब मनोरंजन करेगी.
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साल 2019 में आई फिल्म 'मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर' में उन स्लम्स एरिया की कहानी दिखाई गई है जिनके घरों में टॉयलेट नहीं है. अंधेरों में टॉयलेट जाने की वजह से फिल्म में सरगम का किरदार निभा रहीं अंजली पाटिल के साथ रेप हो जाता है. जिसके बाद 8 साल का बच्चा कानू अपने प्राइम मिनिस्टर से टॉयलेट बनवाने की गुहार लगाता है. मां बेटे के गहरे प्रेम के साथ-साथ इस फिल्म कई गंभीर मुद्दों को भी दिखाया गया है.