दिग्गज गीतकार-कवि जावेद अख्तर (Javed Akhtar) की उस याचिका को मुंबई की एक सेशन कोर्ट ने सोमवार यानी 20 मार्च को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने एक समन के खिलाफ अदालत से गुहार लगाई थी. बता दें कि RSS के खिलाफ की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में वकील संतोष दुबे ने जावेद के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें मजिस्ट्रेट ने उनके खिलाफ समन जारी किया था.
बता दें कि जावेद अख्तर के खिलाफ तालिबान की तुलना RSS से करने के आरोप में केस दर्ज किया गया था. 2021 में एक न्यूज पोर्टल को दिए इंटरव्यू के दौरान अख्तर ने कहा कि तालिबान बर्बर है, उसकी हरकतें निंदनीय हैं, लेकिन RSS, VHP और बजरंग दल को सपोर्ट करने वाले सभी एक जैसे हैं.
इस बयान के बाद मुंबई के संतोष दुबे ने कथित तौर पर झूठी और अपमानजनक टिप्पणी करने और आरएसएस की छवि और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए अख्तर को 100 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा था. दुबे ने अख्तर से बिना शर्त लिखित माफी मांगने को भी कहा था.
जानकारी के मुताबिक, संतोष दुबे ने अक्तूबर 2021 के दौरान आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत जावेद अख्तर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. यह याचिका सबअर्बन मुलुंड में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट में दायर की गई थी. जहां दोनो पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने जावेद अख्तर को समन भेजा था.
वकील संतोष दुबे खुद को आरएसएस समर्थक बताते हैं. उन्होंने जावेद अख्तर पर आरोप लगाया था कि राजनीतिक बढ़त हासिल करने के मकसद से जावेद अख्तर ने एक इंटरव्यू में जानबूझकर आरएसएस का नाम घसीटा था और इसे बदनाम करने की कोशिश की. उनका मकसद हिंदूवादी संगठन को बदनाम करना था.
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