Lata Mangeshkar and Mohammed Rafi: अपनी आवाज से फिल्मों में चार चांद लगाने वाले दो ऐसे दिग्गज सिंगर जिनके जाने के बाद भी आज तक उनकी आवाज का जादू लोगों के सर चढ़ कर बोलता है. एक हैं स्वर कोकिला लता मंगेशकर और दूसरे हैं आवाज के जादूगर मोहम्मद रफी.
दोनों की जुगलबंदी भी ऐसी की लोगों को दीवाना बना देती थी. लेकिन 1961 में कुछ ऐसा हुआ कि इन दोनों ने एक साथ गाने से इंकार कर दिया. क्या आपको पता है कि दोनों ने 4 साल तक एक-दूसरे से बात भी नहीं की थी. आइये आपको बताते हैं कि आखिर इस मतभेद की वजह क्या थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर के बीच के विवाद की वजह थी गानों को लेकर मिलने वाली गायकों की रॉयल्टी. दरअसल, लता जी चाहती थीं, म्यूजिक डायरेक्टर्स की तरह सिंगर्स को भी गानों की रॉयल्टी में हिस्सा मिलना चाहिए. जबकि रफी साहब की राय, लता जी से बिल्कुल जुदा थी. रफी साहब का मानना था कि सिंगर को जब एक गाने के लिए फीस मिल जाती है तो फिर रॉयल्टी में उसका कोई हक नहीं रह जाता.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हुआ यूं कि 1961 में फिल्म 'माया' के गाने 'तस्वीर तेरी दिल में' के दौरान स्टूडियो में दोनों के बीच रॉयलटी को लेकर बहस छिड़ गई. जिसके बाद रफी साहब ने कहा कि वो अब कभी लता के साथ गाना नहीं गाएंगे.
अब गुस्से की तेज लता ने जवाब में कहा, 'आप क्या मेरे साथ गाना नहीं गाएंगे, मैं खुद कभी आपके साथ नहीं गाऊंगी.' दोनों ने करीब 4 साल तक साथ में गाना नहीं गाया, ना ही कोई मंच शेयर किया.
लेकिन संगीतकार जयकिशन और नरगिस की कोशिशों और समझाने के बाद आखिरकार ये मतभेद दूर हुआ. इस पुराने झगड़े को सुलझाने का क्रेडिट अगर फिल्म 'ज्वेल थीफ' के गाने दिल पुकारे 'आ रे आ रे' को दें तो ये गलत नहीं होगा. क्योकि चार साल बाद दोनों ने एक साथ इसी गाने को अपनी आवाज दी.
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