फिल्ममेकर और डायरेक्टर मधुर भंडारकर (Madhur Bhandarkar) अपनी नई डिजिटल फिल्म 'इंडिया लॉकडाउन' (India Lockdown) को लेकर काफी चर्चाओं में है. फिल्म लॉकडाउन के वक्त हुए हालात को बयां करती है. हाल ही में भंडारकर ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए बताया कि कैसे लॉक डाउन के दौरान फिल्म और फिल्म उद्योग के बारे में उनकी सोच बदल गई.
इंटरव्यू के दौरान फिल्मेकर ने बताया कि जब वह घर पर बैठे थे तो उन्होंने लॉकडाउन के दौरान एक फिल्म पर काम करने का फैसला लिया. भंडारकर ने कहा कि, 'हमने प्रवासी श्रमिकों पर ध्यान दिया, सेक्स वर्कर को देखा, एक पिता अपनी गर्भवती बेटी से मिलने के लिए यात्रा नहीं कर सकता है, इसे भी देखा.
भंडारकर ने कहा कि, 'लोगों को अब सभी भाषाओं में अलग-अलग कंटेंट देखने की आदत हो गई हैं. मेरे दोस्त मुझे विदेशी सीरीज और फिल्मों को देखने का सुझाव देते रहते हैं.' निर्देशक ने आगे कहा कि, 'बॉलीवुड को रीमेक बनाने से रोकने की जरूरत है, क्योंकि अब हर भाषा में फिल्में डब की जाती है. बहुत से लोगों को अक्सर लगता है कि ये फिल्म तो देख चुके है, वापस थिएटर क्यों जाए?' भंडारकर ने कहा कि, 'व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि हमें केवल नई कन्टेंट ही बनाना चाहिए. मैं कभी भी विदेशी फिल्मों से भी प्रेरित नहीं हुआ. मुझे लगता है कि अच्छे लेखकों को वास्तविक कहानियों और कन्टेंट पर काम करना चाहिए.'
तीन बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक ने कहा कि, 'ओटीटी ने उन्हें नए दर्शकों को खोजने में मदद की है. निर्देशक ने हाल ही में डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर 'बबली बाउंसर' रिलीज किया है.' भंडारकर ने कहा, 'यह बहुत अच्छा है. अब घरों में दादा-दादी या बुजुर्ग, जो थिएटर जाने में सहज नहीं थे, अब फिल्में देख रहे हैं. वे मेरे दर्शक भी हैं, जो मेरी फिल्में ओटीटी पर देख रहे हैं इसलिए मैंने कहा कि आपके पास अच्छे कन्टेंट है,तो लोग इसे देखेंगे.'
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