Mohammed Rafi’s 43rd death anniversary: महान गायक मोहम्मद रफी के निधन को चार दशक से ज्यादा का वक्त चुका है लेकिन उनकी सुरीली आवाज पीढ़ियों से संगीत प्रेमियों के बीच गूंजती है. उनकी 43वीं पुण्यतिथि पर, जावेद अली, शिल्पा राव और स्टेबिन बेन जैसे संगीत कलाकार ने उनके गानों को रीक्रिएट करने पर बात की. उन्होंने रफी के गीतों को गाने का सबसे चुनौतीपूर्ण पहलू भी शेयर किया.
Javed Ali - Nazar Na Lag Jaye
2018 में उनका 'नज़र ना लग जाए' गाना गाने वाले सिंगर जावेद अली ने कहा- 'रफ़ी साहब का गाना गाना कोई आसान काम नहीं है. लेकिन, जब भी मुझे उनके किसी गाने को प्रजेंट करने का सौभाग्य मिलता है, तो मैं उनकी आवाज की नकल करने की कोशिश करने से बचता हूं क्योंकि यह एक असंभव उपलब्धि है.'
उन्होंने आगे कहा कि 'मुझे उनके गाने में मजा भी आता है और उनके गाने मेरी आवाज को सूट भी करते हैं. इसलिए मैं बस अपना बेस्ट देने की कोशिश कर रहा हूं. उनके जैसा ना तो कोई था, ना कोई होगा.'
Shilpa Rao- Dil ka Bhanwar
शिल्पा राव ने 2016 में मिक्स-टेप के लिए मोहम्मद रफ़ी का 'दिल का भंवर' करे पुकार गाना गाया था. उन्होंने कहा कि रफी साहब ने जो अभिव्यक्ति सहजता से व्यक्त की, उसे कैद करना एक मुश्किल काम था. उनका उच्चारण बिल्कुल साफ था, और उनकी प्रस्तुति में एक आनंददायक चंचलता थी जो मेरे लिए फिर से बनाने के लिए सबसे कठिन पहलू साबित हुई. इस स्तर के गायक एक पीढ़ी में केवल एक बार उभरते हैं, और उनके गीत गाने की हमारी कोशिशि सिर्फ विनम्र प्रयास हैं.
Stebin Ben- Badan Pe Sitare
स्टेबिन बेन ने कहा - मैंने बदन पे सितारे (प्रिंस, 1969) को फिर से बनाने का प्रयास किया और इसे 2020 में रिलीज़ किया. इस गीत को आज़माना मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि थी क्योंकि ये प्रतिष्ठित गीत हैं और रफ़ी साहब के प्रदर्शन, शैली और आवाज़ की विशालता को दोहराना असंभव है. इसलिए, मैंने अपनी अनूठी शैली को शामिल करते हुए, नई पीढ़ी के लिए इस गीत का अपना स्वयं का प्रस्तुतीकरण बनाने का निर्णय लिया. सौभाग्य से, मेरा वर्जन लोगों को पंसद आया.
हालांकि यह गाना अपने आप में बहुत कठिन नहीं हो सकता है, लेकिन जिस तरह से रफ़ी साहब ने इसे गाया, वह उनकी असाधारण कलात्मकता की वजह से बेहद अहम और खास बनाता है.
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