नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) सामाजिक मुद्दों और देशहित के मुद्दों पर अपनी बात कहने से कभी नहीं कतराते. दिग्गज स्टार अक्सर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सिनेमा पर राजनीतिक प्रभाव पर कड़ी राय व्यक्त करते हैं. अब कान्स फिल्म फेस्टिवल में ब्रूट इंडिया के साथ एक इंटरव्यू में शाह ने धर्म के बारे में एक साहसी फिल्म पर काम करने में अपनी रुचि व्यक्त की.
नसीरुद्दीन से सवाल किया गया कि अगर उन्हें किसी कंटेम्पररी सोशल मुद्दे को फिल्म के लिए चुनना हो तो वह क्या चुनेंगे?. उन्होंने कहा, 'मैं धर्म कहूंगा....मुझे लगता है कि इस कारक के बारे में साहसी फिल्में बनाई जानी चाहिए, जो हम सभी के दिमाग में है. मेरे विचार से, यह मानवता के लिए सबसे हानिकारक चीजों में से एक है, और वह है... मैं उस फिल्म पर विचार क्यों करता हूं जो मैंने कई साल पहले पाकिस्तान में की थी जिसका नाम 'खुदा के लिए' था, जो एक इम्पोर्टेन्ट फिल्म थी, उतनी ही इम्पोर्टेन्ट जितनी कि 'मंथन'.
उन्होंने आगे कहा, 'कुछ लोग ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं और धीरे-धीरे उनकी संख्या बढ़ सकती है लेकिन सीधा बयान देना अभी भी आसान नहीं है और किसी को अपना संदेश स्वादिष्ट रूप में देना होगा.'
बता दें कि श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित उनके सोशल ड्रामा फिल्म 'मंथन' (1976) की स्क्रीनिंग पर नसीरुद्दीन के साथ उनकी पत्नी रत्ना पाठक शाह भी थीं. फिल्म को कान्स क्लासिक्स सेक्शन में चुना गया था. फिल्म में गिरीश कर्नाड, स्मिता पाटिल और अमरीश पुरी भी प्रमुख भूमिकाओं में थे. प्रतीक बब्बर भी अपनी दिवंगत मां (स्मिता पाटिल) की क्लासिक फिल्म का प्रीमियर देखने के लिए कान्स में मौजूद थे.
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