Satya Prem Ki Katha Review: मराठी फिल्मों से नाम कमा चुके डायरेक्टर समीर विद्वांस (Sameer Vidwans) की फिल्म 'सत्यप्रेम की कथा' (Satya Prem Ki Katha) अब फिल्म 29 जून को रिलीज हो चुकी है. कार्तिक आर्यन (Kartik Aaryan) और कियारा आडवानी (Kiara Advani) के फैंस इस फिल्म के रिलीज होने का बेसब्री से कर रहे थे. अब रिलीज होने के बाद फिल्म को लेकर लोगों के मिले-जुले रिएक्शन सामने आए है.
एक दर्शक ने कहा फिल्म की कहानी अच्छी है, लेकिन फिल्म काफी स्लो है, वहीं एक औऱ दर्शक ने कहा फिल्म में कियारा औऱ कार्तिक की एक्टिंग ने कहानी में जान डाल दी है. लोगों को ये फिल्म परिवार के साथ देखनी चाहिए. वहीं अन्य लोगों ने फिल्म को अच्छा कहा. वहीं कुछ लोगों का ये भी कहना था कि फिल्म बस एक बार देखने वाली है. वहीं लोगों ने ये भी कहा कि फिल्म में मजा नहीं आया. फिल्म और अच्छी बनाई जा सकती थी.
सत्य प्रेम की कथा फिल्म की कहानी है सत्यप्रेम उर्फ सत्तू (कार्तिक आर्यन) की, जो शादी करने को बेताब है. सत्तू अपनी जिंदगी में घर के काम के अलावा कुछ नहीं करता. बर्तन धोना, खाना बनाना, पोछा लगाना जैसी चीजें सत्तू अपने घर पर रोज करता है. वो वकील बनना चाहता था लेकिन एग्जाम में पास नहीं हो पाया तो घर पर खाली बैठा है.
सत्यप्रेम के पिता नारायण (गजराज राव) भी बेरोजगार हैं. उन्होंने तीन बिजनेस में पैसे लगाए थे, लेकिन फेल हो गए. ऐसे में सत्तू की मां दिवाली (सुप्रिया पाठक) और बहन सेजल (शिखा तलसानिया) डांस क्लासेज देकर अपना घर चलाती हैं.
नवरात्रि में सत्तू की मुलाकात कथा से होती है और वो प्रपोज करता है. लेकिन कथा का बॉयफ्रेंड पहले से ही हा होती है तो वो कोई लाइन नही देती. लेकिन जैसे ही कुछ समय बाद सत्तू को पता चलता है कि कथा का ब्रेकअप हो गया है तो वो फिर से मनाने कथा के घर पहुंच जाता है.
इस बीच किसा घटना के चलते कथा के पिता सत्तू से शादी करा देते हैं. इस शादी से कथा खुश नहीं होती है. फिर घर पर कथा के बारे में सत्तू के गर वाले कोई ऐसी जानकारी पाते है जिससे सत्तू के घर वाले चौंक जाते है. फिर आगे की कहानी सिनेमाघर में देखने से पता चलेगी.
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