कलाकार: ऋषि कपूर, परेश रावल, जूही चावला, सुहैल नैयर और ईशा तलवार
निर्देशक: हितेश भाटिया
रेटिंग: 4/5
हीरो आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन लेजेंड्स हमेशा रहते हैं. ये लाइने दिवंगत एक्टर ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) के सफर पर पूरी तरह फिट बैठती हैं. 'शर्माजी नमकीन' (Sharmaji Namkeen) के जरिए ऋषि कपूर और उनके जादू को आखिरी बार पर्दे पर देखना फैंस के लिए बेहतरीन तोहफा है.
शर्माजी नमकीन बीजी शर्मा के रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी की कहानी दिखाती है. वो कुछ नया करना चाहते हैं क्योंकि वो रिटायरमेंट के बाद समाज के बनाए गए ढांचे के मुताबिक नहीं जीना चाहते. फिल्म में दर्शक शर्माजी को खाना पकाने के उनके जुनून को पूरा करते और किटी पार्टियों में हिस्सा लेते हुए देखेंगे. हालांकि उनका यह पैशन उनके बच्चों के लिए इंबैरेसमेंट साबित होता है.
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हिंदी सिनेमा में ऐसा पहली बार हुआ है जब दो अभिनेताओं ने एक किरदार निभाया है. दर्शकों के बीच एक ही किरदार को दो अलग एक्टर्स के बीच ब्लेंड करना एक जोखिम भरा कदम है हालांकि इस एक्सपेरिमेंट में निर्देशक काफी सफल भी हुए हैं. ऋषि कपूर ने फिल्म में अपने किरदार को बखूबी पर्दे पर उतारा और दर्शकों के मन में शर्माजी को जिंदा रखने के लिए परेश रावल (Paresh Rawal) को सलाम.
सुहैल नैयर ने अपनी एक्टिंग की बेहतरीन छाप छोड़ी है. ऋषि कपूर और परेश रावल जैसे शानदार एक्टर्स के सामने खड़ा होना आसान नहीं है. लेकिन, नैयर ने अपने अभिनय को सहजता से दिखाया है. फिल्म में दूसरे को स्टार्स - सतीश कौशिक, ईशा तलवार और शीबा चड्ढा ने अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभाई है. जूही चावला और ऋषि कपूर हमें एक ऐसे दौर में वापस ले जाते हैं जब रोमांस emotional chemistry से ज्यादा था. उनकी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री हमेशा की तरह मनमोहक है. परमीत सेठी की मौजूदगी ने परदे पर जलवा बिखेरा.
डायरेक्टर हितेश भाटिया ने ऋषि कपूर और फिल्म के साथ पूरा न्याय किया है. उन्होंने एक्टर की सादगी और आकर्षण को बनाए रखा है. ऋषि कपूर और परेश रावल के बीच की पारी सहज थी. राइटिंग crisp, ईमानदार, गैर-नाटकीय है, और निश्चित रूप से उपदेशात्मक नहीं है! लेकिन सबसे बढ़कर, शर्माजी 'मनोरंजक' हैं.
हितेश अंतिम क्रेडिट में ऋषि कपूर को श्रद्धांजलि देते हैं. एक बीटीएस क्लिप में ऋषि कपूर कहते हैं, 'अब, इससे बेहतर और कुछ नहीं हो सकता.'