संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) अपनी फिल्मों में तवायफों, सेक्स वर्करों के किरदार को लेकर बार-बार आते रहते हैं. 'देवदास' में माधुरी दीक्षित, से लेकर 'सांवरिया' में रानी मुखर्जी 'गंगूबाई काठियावाड़ी' में 'आलिया भट्ट' और अब 'हीरामंडी' जो लाहौर का मशहूर ऐसा बाजार जहां तवायफों के कोठे होते थें. अब गैलाटा प्लस के साथ एक नए इंटरव्यू में संजय ने बताया है कि आखिर वह तवायफों को लेकर ऑब्सेस्सेड क्यों हैं. जिसपर संजय ने खुलकर बात की है.
बातचीत के दौरान संजय ने कहा, 'मुझे लगता है कि वे ऐसी महिलाएं हैं जिनमें बहुत सारा रहस्य है. उन्होंने आगे कहा, 'वैश्या हो या तवायफ... वे अलग-अलग हैं. लेकिन उनमें हमेशा एक खास तरह की शक्ति झलकती है जिसे देखना मुझे बहुत दिलचस्प लगता है... मुझे वह बहुत आकर्षक लगता कि ये महिलाएं जहां गाती हैं, वहां डांस करती हैं. जहां वो खुद को एक्सप्रेस करती हैं. संजय ने आगे कहा, 'संगीत और डांस में उनका आनंद और दुःख दोनों है. वे जीवन जीने की कला, वास्तुकला का महत्व, कपड़े का इस्तेमाल और पहनने वाले गहनों के प्रकार को समझती हैं इसलिए वे कला की पारखी हैं.'
संजय ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, 'हम लोग क्या हैं? हम लोग कलाकार लोग हैं. उनको आप समझदार बोलो, भांड बोलो... जो चाहे बोलो, मेरे को तो वो चाहिए. मुझे कुछ ऐसा बनाना है जो बहुत रहस्यमय हो. संजय ने कहा, 'एक बच्चे के रूप में, वे सभी लोग जो वहां से गुजरते थे... मैं स्कूल में जाता था तो ये चेहरे मुझे मोहित कर लेते थे. वहां पर जो राशन की लाइन में जो चार मिडिल क्लास महिलाएं खड़ी हैं वो मुझे मोहित नहीं करतीं.
भंसाली ने 'मुगल-ए-आजम' में मधुबाला और 'अदालत' में नरगिस दत्त से अपने प्रभाव के बारे में भी बताया. उन्होंने यह भी कहा कि वह वी शांताराम और खासकर ऋत्विक घटक की मेघे ढाका तारा की फिल्मों से प्रभावित थे. संजय लीला भंसाली की नेटफ्लिक्स सीरीज़, 'हीरामंडी: द डायमंड बाज़ार', 1 मई को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई थी. सीरीज़ में मनीषा कोइराला, सोनाक्षी सिन्हा, अदिति राव हैदरी, ऋचा चड्ढा और अन्य प्रमुख भूमिकाएं हैं.
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