प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रहा 'पंचायत' (Panchayat) का नया सीजन दर्शकों का खूब मनोरंजन कर रहा है. इस सीरीज से कई कलाकारों ने अपनी खास पहचान बनाई है. जिसमें से एक हैं दुर्गेश कुमार (Durgesh Kumar) जिन्हें पहले सीजन में 'देख रहे हो बिनोद' के डायलॉग से खूब फेम मिला. हालांकि 'बनरकास' के नाम से मशहूर दुर्गेश को प्रसिद्धि इतनी आसानी से नहीं मिली. इंडस्ट्री में संघर्षों के बारे में बात करते हुए, एक्टर ने खुलासा किया कि इंडस्ट्री में बड़ा नाम कमाने की कोशिश के दौरान वह दो बार डिप्रेशन में आ गए थे.
दो बार हुआ डिप्रेशन
लल्लनटॉप को दिए इंटरव्यू में दुर्गेश कुमार ने कहा, 'एक एक्टर बनने के लिए आपको साइकोलॉजिकली, फिजिकली, मेंटली, इमोशनली और आर्थिक रूप से तैयार रहना होगा. मुझे 11 साल में दो बार अवसाद का सामना करना पड़ा है. इसलिए जब तक आप इन तीन रूप से स्वस्थ न हों तब एक्टिंग के फील्ड में न आएं क्योंकि मैं इसके बारें में पूरी तरह से ईमानदार हूं.'
यंगर्स को दी चेतावनी
दुर्गेश ने उन यंगर्स को चेतावनी दी जो इंडस्ट्री से अनजान हैं और फिल्मों में करियर बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा, 'यह कोशिश करने की जगह नहीं है, यह जगह पागल लोगों से भरी हुई है. आज आप जितने भी सफल लोगों को देखते हैं, जिनमें नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में मेरे सीनियर रहे मनोज बाजपेयी और पंकज त्रिपाठी या यहां तक कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी शामिल हैं, वे सभी आधे पागल लोग हैं, कोई भी इस बात का खुलासा नहीं करता है.'
कृपया कभी बॉम्बे न आएं
दुर्गेश ने कहा, 'अकेले पंकज त्रिपाठी के बैच में 20 लोग थे. वे सभी समान रूप से प्रतिभाशाली हैं, लेकिन क्या आप उन्हें कहीं देखते हैं? नवाजुद्दीन सिद्दीकी के बैच में करीब 30 लोग थे, नवाजुद्दीन के अलावा इंडस्ट्री में नाम कमाने वाले एकमात्र शख्स दिवगंत निर्मल दास हैं, जिन्हें 'सरफरोश' में रोल मिला था. बाद में वह आदमी पागल हो गया और आज मर गया. इसकी जानकारी किसी को नहीं है क्योंकि आप यहां संघर्ष देखते हैं? आपको वास्तव में मानसिक रूप से मजबूत होने की जरूरत है. अगर आप नहीं हैं, तो मैं आपसे अनुरोध करता हूं, कृपया कभी बॉम्बे न आएं.'
पैरों में गिरना पड़ता था
उन्होंने आगे याद करते हुए बताया कि कैसे 'हाईवे', 'सुल्तान' और 'फ्रीकी अली' जैसी फिल्मों में एक्टिंग करने के बावजूद, उन्हें एक भूमिका पाने के लिए कास्टिंग डायरेक्टर्स के पैरों पर गिरना पड़ता था. उन्होंने याद करते हुए कहा, 'जब मैं पहली बार 28 मई, 2016 को वर्सोवा आया था, तो मैंने मध्य प्रदेश ड्रामा स्कूल से कुछ दोस्त बनाए. हमने किसी भी कीमत पर इंडस्ट्री में उतरने का फैसला किया. एक्टर ने कहा कि उन्होंने अपने कुछ दोस्तों के साथ हर कास्टिंग डायरेक्टर के दरवाजे खटखटाने शुरू कर दिए थे.
एक दिन की थी भूमिका
हालांकि दुर्गेश का कहना है कि कास्टिंग डायरेक्टर्स के पैरों में गिरने के लिए उन्हें गाली देना शुरू कर दिया था. लेकिन दुर्गेश ने इस इंडस्ट्री में रहने की ठान ली थी. उनका कहना है कि पंचायत सीजन फर्स्ट में उनकी भूमिका सिर्फ एक दिन के लिए लिखी गई थी और उन्होंने सिर्फ ढाई घंटे शूटिंग की थी. दुर्गेश ने कहा, 'मैं वास्तव में चंदन कुमार और दीपक कुमार मिश्रा का आभारी हूं जिन्होंने 'बनराकस' की भूमिका लिखी और मुझे इसकी बहुत मुझे ख़ुशी हुई, मैं इरफान, नवाजुद्दीन नहीं हूं, मैं एक अवरेज एक्टर हूं जिसमें जीवित रहने की प्रवृत्ति है.'
सॉफ्ट पोर्न में किया काम
दुर्गेश कुमार, जिनकी पहली फिल्म इम्तियाज अली की 2014 की फिल्म 'हाईवे' थी. डीएनए की रिपोर्ट मुताबिक, दुर्गेश 2013 से 22 तक दिए गए हर ऑडिशन में फेल हो गए. कास्टिंग डायरेक्टर्स दुर्गेश से कहते थें कि आपके पास टैलेंट है लेकिन ऑडिशन काम नहीं कर रहे हैं.' जिसके बाद पैसों के लिए एक्टर ने सॉफ्ट पोर्न में काम किया. उन्होंने कहा था कि मैं एक्टिंग के बिना नहीं रह सकता. मुझे जो भी काम मिला, मैंने किया क्योंकि मुझे अपनी क्षमताओं पर भरोसा था.'
दुर्गेश, जिन्हें हाल ही में 'लापता लेडीज़' में भी देखा गया था. उनका दावा है कि पंचायत की प्रसिद्धि के बाद अब उन्हें काम मिलने लगा है. उनका कहना है कि भले ही उन्हें एक्शन रोल्स नहीं मिलते लेकिन कम से कम कॉमेडी के साथ उन्हें काम मिल जाता है.
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