Haryana : हरियाणा में सियासी संकट गहरा गया है. सीएम नायब सिंह सैनी के नेतृत्ववाली बीजेपी सरकार से 3 निर्दलीय विधायकों ने समर्थन वापस लेने की घोषणा की है. इसके साथ ही नायब सरकार अल्पमत में आ गई है. भाजपा की सरकार से अपना समर्थन वापस लेने वालों में दादरी से विधायक सोमबीर सांगवान,नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर और पुंडरी से निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन के नाम शामिल हैं. इन सभी निर्दलीय विधायकों ने मंगलवार को कांग्रेस पार्टी को अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया है
ऐसे में बीजेपी में अब मायूसी का माहौल है. सीएम नायब सिंह सैनी ने समर्थन वापस लेने वाले विधायकों पर तंज कसा. कुछ निर्दलीय विधायकों द्वारा कांग्रेस का समर्थन करने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा, "विधायकों की कुछ इच्छाएं होती हैं, कांग्रेस आजकल इच्छाएं पूरी करने में लगी हुई है। लोग सब जानते हैं कि किसकी क्या इच्छा है। कांग्रेस को जनता की इच्छाओं से मतलब नहीं है।"
इसका जवाब देते हुए कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि जनता बीजेपी के खिलाफ है. दीपेन्द्र सिंह हुड्डा के मुताबिक ''राज्य (हरियाणा) में हालात बीजेपी के खिलाफ हैं, राज्य में बदलाव निश्चित है. बीजेपी सरकार बहुमत खो चुकी है. उन्होंने 48 विधायकों की जो सूची दी थी, उनमें से कुछ विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है.'' लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और कुछ निर्दलीय विधायकों ने भाजपा से अपना समर्थन वापस ले लिया है और कांग्रेस को अपना समर्थन दे दिया है, इसलिए अल्पसंख्यक विधायकों को कोई अधिकार नहीं है.
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने 90 में से 40 सीटें जीती थीं और बहुमत से दूर थी ऐसे में जेजेपी से इसने हाथ मिलाया और 10 जेजेपी विधायकों का समर्थन हासिल हुआ और बीजेपी-जेजेपी की सरकार बनी. कांग्रेस को 31 सीटें, इंडियन नेशनल लोकदल और हरियाणा लोकहित पार्टी को 1-1 सीट मिली. बीजेपी के मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में बनी सरकार ने 4 साल पूरे किये. इस दौरान कांग्रेस के कुलदीप बिश्नोई बीजेपी में शामिल हुए और आदमपुर सीट से उपचुनाव में उनके बेटे विजयी हुए. इस तरह से कांग्रेस के खाते में 30 सीटें बचीं
लोकसभा चुनाव से ऐन पहले जेजेपी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर ये गठबंधन टूट गई. इसके बाद बीजेपी के 41 विधायकों के अलावा उसे 6 निर्दलीय और एक हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक ने समर्थन किया. बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री घोषित किया. फ्लोर टेस्ट के दौरान जेजेपी के कुछ विधायक भी बीजेपी के पाले में आते दिखे और ध्वनि मत से सैनी सरकार फ्लोर टेस्ट में पास हो गए. ऐसे में निर्दलीय विधायकों के भरोसे पर टिकी सरकार 3 विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद अब एक बार फिर संकट में आ गयी है.