India alliance: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) द्वारा अपने सहयोगी दल- कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद), को राज्य की 80 में से 18 लोकसभा सीट दिये जाने की पेशकश रास नहीं आ रही है. ये दोनों दल अपनी-अपनी ‘ताकत’ के आधार पर ज्यादा सीट की मांग कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल सपा ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए राज्य में कांग्रेस को 11 और रालोद को सात सीट देने को कहा है. कांग्रेस ने मांग की है कि उसे वर्ष 2009 में पार्टी द्वारा जीती गईं 21 से अधिक सीट दी जाएं, जबकि रालोद राज्य में सात के बजाय आठ सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है।
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में 21 सीट जीती थीं, जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 20 सीट । सपा ने 23 सीट पर परचम लहराया था, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 10 सीट जीतने में कामयाब रही थी। रालोद के खाते में पांच सीट आई थीं और एक पर निर्दलीय उम्मीदवार का कब्जा रहा। बाद में अखिलेश यादव द्वारा फिरोजाबाद सीट खाली करने के बाद उस साल हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी।
कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय राय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में पार्टी द्वारा अधिक सीट मांगे जाने के सवाल पर कहा, ‘‘ सीट बंटवारे को लेकर सकारात्मक बातचीत चल रही है। हम चाहते हैं कि पार्टी राज्य में 22 से अधिक सीट पर चुनाव लड़े जो उसने 2009 के लोकसभा चुनावों में जीती थीं। कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व इस बारे में बात कर रहा है।’’
रालोद के एक वरिष्ठ नेता ने सपा द्वारा दी गई सीट के बारे में कहा, ‘‘रालोद देवरिया लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ना चाहती है। हमारे वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने वर्ष 2004 में कांग्रेस के टिकट पर वहां से चुनाव लड़ा था और अपने प्रतिद्वंद्वियों को कड़ी टक्कर दी थी। 2019 में सपा ने वह सीट बसपा को दे दी थी। कुल मिलाकर राजनीतिक समीकरण रामाशीष राय के पक्ष में है और इससे आश्चर्यजनक परिणाम मिल सकते हैं।’’
रालोद के नेताओं के मुताबिक सपा ने उनकी पार्टी को बागपत, मुजफ्फरनगर, मथुरा, कैराना, हाथरस, बिजनौर और अमरोहा की सीट देने की पेशकश की है।
रालोद के एक अन्य नेता ने कहा, ‘‘पार्टी नेता इस बात से हैरान हैं कि सपा ने उन्हें अमरोहा लोकसभा सीट की पेशकश कैसे की? खासकर तब, जब मौजूदा सांसद दानिश अली कांग्रेस के साथ तालमेल बैठा रहे हैं। सपा ने रालोद को जिन सात सीट की पेशकश की है, उनमें से तीन सीट पर सपा के उम्मीदवार रालोद के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘रालोद प्रमुख जयंत चौधरी सपा द्वारा की गयी सीट की पेशकश से बहुत खुश नहीं हैं।’’
इस बीच, कांग्रेस की ओर से मांग जा रही ज्यादा सीट के सवाल पर सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह तो उनका पक्ष है ना? सपा ने उन्हें जितनी सीटें दी हैं, उतनी ही रहेंगी।’’
रालोद द्वारा देवरिया सीट की मांग किये जाने पर चौधरी ने कहा, ‘‘रालोद के साथ सीट बंटवारे का फैसला पहले ही हो चुका है। जयंत चौधरी आए थे और सब कुछ तय हो गया था।’’
उन्होंने यह भी कहा कि सपा सहयोगियों को ‘11+7’ सीट के फॉर्मूले पर टिकी है और फिलहाल इसमें ‘‘कोई और संशोधन नहीं होगा।’’
सपा ने पिछले शनिवार को घोषणा की थी कि उसने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 11 लोकसभा सीट की पेशकश की है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि उनका गठबंधन ‘‘अच्छी शुरुआत’’ है।
यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था, ‘‘कांग्रेस के साथ उनका सौहार्दपूर्ण गठबंधन 11 मजबूत सीट के साथ अच्छी शुरुआत कर रहा है। यह प्रवृत्ति जीत के समीकरण के साथ आगे बढ़ेगी। ‘इंडिया’ टीम और ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की रणनीति इतिहास बदल देगी।’’
सपा प्रवक्ता चौधरी ने कहा, ‘‘ पार्टी ने कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 11 सीट की पेशकश की है, ताकि हमारे बीच सम्मानजनक आपसी समन्वय हो और हम भाजपा को हराएं।’’
उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व लगातार कांग्रेस के संपर्क में है।
चौधरी ने कहा, ‘‘हमने कांग्रेस को (उत्तर प्रदेश में) 11 सीट और राष्ट्रीय लोक दल को सात सीट दी हैं। सपा लोकसभा चुनाव में 62 सीट पर चुनाव लड़ेगी।’’
राजनीतिक लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीट हैं। देश में लोकसभा चुनाव इसी साल अप्रैल-मई में होने की संभावना है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा के 64 सांसद हैं। इसके अलावा बसपा के 10, सपा के तीन और अपना दल (सोनेलाल) के दो सांसद हैं। सोनिया गांधी राज्य की एकमात्र कांग्रेस सांसद हैं जो रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं